शासकीय कन्या उमा विद्यालय में एबीवीपी के पदाधिकारी की दबंगई, प्राचार्य की कुर्सी को कक्ष से बाहर का रास्ता दिखाया

इटारसी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक जिला स्तर के पदाधिकारी के साथ शासकीय कन्या उमा विद्यालय पहुंचे कुछ पदाधिकारियों ने प्राचार्य के कक्ष में उनकी गैरमौजूदगी में जमकर हंगामा किया। एबीवीपी के उक्त पदाधिकारी ने मौजूद शिक्षकों को जमकर दबंगई दिखाई और नौकरी करना सिखाने तक की धमकी दे डाली। उक्त पदाधिकारी ने प्राचार्य की कुर्सी को उनके कक्ष से बाहर निकलवाकर ग्राउंड में पटकवा दिया। मामले की सूचना मिलने पर जब नायब तहसीलदार और पुलिस पहुंची तब एबीवीपी के पदाधिकारी ज्ञापन देकर वहां से खिसक गए।
पहली बार में यह हुआ था घटनाक्रम
वरिष्ठ शिक्षिका ने जो जानकारी हमें दी उसके हिसाब से आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भी इसी पदाधिकारी के साथ एबीवीपी की महिला पदाधिकारी शासकीय कन्या उमा विद्यालय छात्राओं की सदस्यता कराने की मंशा से पहुंची थीं। उस दौरान वहां पदस्थ वरिष्ठ शिक्षिका ने बिना अनुमति छात्राओं की कक्षाओं में प्रवेश करने से रोका था। शिक्षिका ने विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों को सदस्यता अभियान स्कूल लगने के पहले या स्कूल लगने के बाद चलाने और शाला लगने के समय में सदस्यता अभियान के लिए डीईओ कार्यालय से अनुमति लाने की बात कही थी। इसी बात से नाराज होकर उक्त एबीवीपी पदाधिकारी महिला शिक्षिका से जमकर अभद्रता की थी और दूसरी बार भी बिना अनुमति शाला में प्रवेश करने की बात कहकर चला गया था।
दूसरी बार फिर पहुंचे एबीवीपी पदाधिकारी
सोमवार को एबीवीपी के अर्पित नामक उक्त पदाधिकारी के साथ कुछ युवतियां व युवा दोबारा शाला पहुंचे और सीधे प्राचार्य के कक्ष में उनकी गैरमौजूदगी में घुस गए। वहां जाकर उन्होंने प्राचार्य कक्ष में जमकर नारेबाजी की। वहां मौजूद स्टाफ ने जब एबीवीपी पदाधिकारी से उनकी समस्या के बारे में जानना चाहा तो पदाधिकारी अर्पित ने अपने तीखे तेवर दिखाते हुए प्राचार्य को ही बुलाने का दबाव डाला। उन्होंने कहा कि यहां का स्टाफ काम नहीं करता है। अगर हम चाहें तो दो दिन में नौकरी करना सिखा दें। जब मामला काफी देर तक शांत नहीं हुआ तो स्कूल प्रबंधन ने इसकी सूचना नायब तहसीलदार और पुलिस प्रशासन को दी। पुलिस प्रशासन भी प्रशासनिक अफसर के नहीं पहुंचने तक चुपचाप मामले को देखता रहा। बाद में पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने एबीवीपी पदाधिकारियों को समझाइश तब परिषद के कार्यकर्ता ज्ञापन देकर वहां से चले गए।