इटारसी। सोनासांवरी नाका स्थित मार्ग पर सिद्ध बाबा मंदिर के सामने कथित रूप से अवैध तौर बनाए गए नाले के ऊपर पुल ने पानी निकासी के सिस्टम को गड़बड़ा दिया है। इस नाले पर बने पुल की वजह से बारिश के पानी के फैलाव की स्थिति और बहाव की गति दोनों ही सिमटने से शहर के निचले इलाकों में जलभराव हो गया। पूर्व के नगर प्रशासन और नगरपालिका के जिम्मेदार अफसरों की कथित कबड्डी ने कुछ घंटे की तेज बारिश ने इस नाले के आसपास बसे निचले रिहायशी इलाकों में रहने वालों की धड़कने बढ़ा दी। जिसके बाद सोनासांवरी पुल के पास स्थित नाले पर अवैध अतिक्रमण को लेकर अब एक जनप्रतिनिधि ने आवाज उठाने की हिम्मत दिखा ही दी। उन्होंने सीएमओ और एसडीएम को पत्र देकर तीन दिन अवैध निर्माण को तोड़ने की मांग उठाई है और कार्रवाई ना होने की स्तिथि में आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
कांग्रेस पार्षद ने खोला मोर्चा, दिया 3 दिन का समय
नगर पालिका परिषद इटारसी के वार्ड क्रमांक 16 के कांग्रेस पार्षद अमित कापरे ने इस आशय का एक पत्र अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी इटारसी को सौंपा।
पत्र में कापरे ने बताया कि वार्ड 17 में इटारसी शहर की सीमा से लगे सोनासांवरी नाका क्षेत्र में शहर की जल निकासी के एकमात्र स्रोत नाले पर भू माफियाओं एवं प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से बीते डेढ़ वर्षों से खुलेआम अतिक्रमण कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस अतिक्रमण पर स्थानीय निवासियों सहित जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार शासन की ओर पत्र लिखे गए एवं शिकायतें की गई। इन सबके बावजूद प्रशासन आंख मूंदे बैठा रहा। आश्चर्य की बात यह है कि इतनी शिकायतों के बाद भी निर्माणकर्ता को शासन ने क्लीन चिट भी दे दी। कुछ आवेदन आज से डेढ़ वर्ष पूर्व मार्च 2023 में मुख्य नगर पालिका अधिकारी सहित एसडीएम इटारसी को अवैध निर्माण को रोकने संबंधित ज्ञापन दिये गये थे। उस समय यह अवैध निर्माण अपने प्रारंभिक चरण में था। तब तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी हेमेश्वरी पटले ने यह कहकर खुद को मामले से अलग कर लिया था कि उक्त क्षेत्र नगर पालिका सीमा में नहीं आता। कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा आज से दो महीने पूर्व भी इस संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष को लिखित में शिकायत की थी।
पार्षद ने याद दिलाया नियम
कांग्रेस पार्षद कापरे ने बताया कि नगरीय क्षेत्रों में शासन की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे नाले जिसमें शहर का ड्रेनेज मिलता हो के आसपास निर्माण के लिए नाले से 9 मीटर की दूरी होना अनिवार्य है। यदि शासन के उक्त निर्देश सही है तब ऐसी स्थिति में विषय की संवेदनशीलता एवं गंभीरता को देखते हुए उन सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जावे जिन्होंने निर्माण की अनुज्ञा दी एवं आपत्ति लगने के पश्चात भी उक्त निर्माण कार्य को वैधानिक करार देकर क्लीन चिट दी। कापरे ने कहा कि रविवार को हुई मात्र 3 घंटे की बारिश के कारण बीते 45 वर्षों में पहली बार ऐसी स्थिति बनी जब पूरा सूरजगंज क्षेत्र घुटने घुटने तक पानी में डूब गया था एवं लोगों के घरों में पानी घुस गया था। जिसके चलते तिरुपति नगर, महर्षी नगर, अजैबचन कॉलोनी, दशमेश कॉलोनी, सोनासांवरी नाका, जाटव मोहल्ला, बैंक कॉलोनी, काली मंदिर के सामने का क्षेत्र एवं वर्धमान कॉलेज परिसर सहित हजारों घर प्रभावित हुए।
3 दिन बाद होगा आंदोलन
कांग्रेस पार्षद कापरे ने कहा कि बारिश अभी अपने प्रारंभिक दौर पर है। आने वाले समय में भारी बारिश के चलते बड़ी जनहानि होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। भले ही विवादित निर्माण क्षेत्र नगर पालिका सीमा में नहीं आता किंतु जनहित में उक्त अतिक्रमण को तुरंत रोक कर और अतिक्रमण हटाकर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जावे जिससे भविष्य में इस तरह के कृत्यों पर अंकुश लग सके। कापरे ने अपने पत्र के माध्यम से चेतावनी देते हुए कहा कि जनहित में यदि तीन कार्य दिवस के भीतर नाले पर निर्माण को नहीं रोका गया तो शहर की जनता एवं प्रबुद्ध जनों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।