इटारसी। एक दिन पहले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगल में मिली करीब ढाई साल की बाघिन का जंगल में।विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी में दाह संस्कार कर दिया गया। इस बाघिन को 21 दिन पहले भोपाल के वन विहार से एसटीआर लाया गया था। एक दिन पहले ही इसका शव जंगल में मिला था जिसके बाद विभाग की टीम ने मौके पर जाकर शव को अपने कब्जे में लिया था। उल्लेखनीय है कि लगभग 2 वर्ष पूर्व को एक मादा बाघ शावक सिवनी वनमंडल अंतर्गत परिक्षेत्र चौरई के ग्राम हरदुआ के निकट एक कुंए में घायल अवस्था में गिरी हुई पायी गई थी जिसे रेस्क्यू कर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल उपचार हेतु भेजा गया था। बाघिन के कुछ स्वस्थ होने के उपरांत शावक को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना स्थित बाड़े में लाया गया तथा विशेष निरीक्षण में रखकर पालन-पोषण किया गया था। करीब 21 दिन पहले इसे रिवाईल्ड किया गया था। रिवाईल्ड के बाद इसने एक खरगोश तथा एक जंगली सूअर का शिकार भी सफलतापूर्वक किया था। 11 जुलाई को दोपहर में str टीम को बाघिन से मोर्टिलिटी सिग्नल (कॉलर के सिग्नल में एक स्थान पर स्थिरता) प्राप्त हुये जिससे स्टाफ को बाघिन के मृत होने या अस्वस्थ होने की आशंका हुई। तत्पश्चात हाथियों की गश्त से मादा बाघिन को ढूंढा गया। बाघिन मृत अवस्था में पाई गई। Str डाग स्काड द्वारा मौके का एवं आसपास के क्षेत्र का किसी भी संदिग्धता के लिये गहन निरीक्षण किया गया। इसके बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं WCT के वन्य प्राणी विशेषज्ञ द्वारा शव परीक्षण किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण किसी अन्य वन्य प्राणी के साथ मुठभेड़ में बाघिन का घायल होना पाया गया है और उसी वजह से उसकी मृत्यु होने की संभावना है। इसके अलावा हिस्टोपैथौलोजी, टाक्सिकोलोजी, एंटोमोलोजिकल टेस्ट के लिये सैम्पल एकत्रित किये गये जिन्हे संबधित संस्थानों में भेजा जा रहा है जिससे मृत्यु का कारण और सूक्ष्मता से स्थापित किया जा सकेगा।