नपा के जिम्मेदारों का कारनामा, चोरों को बचा रहे चौकीदार कहावत चरितार्थ


==इटारसी नगरपालिका के जिम्मेदारों के कदम से लोकोक्ति को मिला बल
==पार्षद ने लिखा कोर्ट में सही दस्तावेज लगाकर दोषियों को सजा दिलाने पत्र
राहुल शरण, इटारसी। अगर आपके या हमारी जमीन पर कोई सांठगांठ से कब्जा कर ले और मामला कोर्ट में चला जाए तो हमारी पूरी कोशिश रहती है कि हम जमीन पर अपना स्वामित्व सिद्ध करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले दस्तावेज कोर्ट के सामने लाएं ताकि कोर्ट यह तय कर सके कि जमीन का मालिकाना हक किसका है और कौन अतिक्रमणकारी है, मगर इटारसी नगरपालिका (Itarsi nagarpalika)के जिम्मेदारों के एक कारनामे ने इस कहावत को साबित कर दिया है कि चौकीदार ही चोरों को बचाने में जुटा है। जी हां आपको पढऩे में थोड़ा अचरच हो रहा होगा कि आखिर माजरा क्या है, तो आइए हम आपको इस पूरे माजरे से परिचित कराते हैं।
क्या है मामला
नवंबर 2018 में शिक्षक नगर(shikshak Nagar) की सडक़ पर करीब 800 वर्गफीट जमीन पर मेघा जैन पति सचिन जैन ने मकान निर्माण शुरू किया था, जिसका वार्ड के लोगों ने विरोध किया था। वार्ड के लोगों की शिकायत को तत्कालीन नगरपालिका परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों ने अनसुना कर दिया था। शिक्षक नगर के भूखंड क्रमांक 55 (plot55A) जो कि मेधा जैन पति सचिन जैन के नाम आवंटित था, के बाजू में शासकीय भूमि जो कि 15 फीट चौड़ी सडक़ी थी, को अवैधानिक रूप से भूखंड क्रमांक 55 ए बनाकर मेघा जैन पति सचिन जैन एवं सचिन जैन पिता किशोर जैन के नाम 30 साल के लिए लीज डीड संपत्ति कर दी गई थी।
कम दर पर बेची शासकीय जमीन
शासकीय जमीन की यह लीज डीड बाजार मूल्य से बहुत कम दर पर हुई थी। उस समय के कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार दर 1 लाख 50 हजार रुपए थी मगर खरीदार को 24 हजार रुपए प्रीमियम पर दी गईं थी। यह राशि भी शासकीय कोष में जमा नहीं की गई। बवाल मचने पर नगरपालिका ने एआरआई सजीव श्रीवास्तव(ARI sanjiv shrivastav) और सेवाप्रदाता युसुफ अली राजा के खिलाफ मामले में शिकायत की और उनकी गिरफ्तारी हुई। फिलहाल वे जमानत पर हैं।
एसडीएम के पत्र पर हुई थी जांच
इस पूरे प्रकरण में 19 मई 2019 को एक शिकायत एसडीएम इटारसी(SDM Itarsi) को हुई थी। जिसमे पूरे मामले को अपराधिक कृत्य बताते हुए, अवैध रूप से नगरपालिका की जमीन को अंतरित करने के लिए एआरआई संजीव श्रीवास्तव, जमीन की लाभार्थी मेघा जैन, उनके पति सचिन जैन, तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी अक्षत बुंदेला, उप पंजीयक आनंद पांडे, सेवा प्रदाता एवं साक्षी युसुफ अली राजा के विरुद्ध सक्षम धाराओं में कार्यवाही करने की मांग की गई थी। इस शिकायत पर अनुविभागीय अधिकारी ने नपा इटारसी को एक पत्र जांच हेतु लिखा था।
जांच में मिली थी मिलीभगत
नपा के जांच दल के प्रतिवेदन में सामने आया था कि भवन क्रमांक 55 के बाजू में 15 मीटर की रोड थी जिसे नपा के तत्कालीन एआरआई संजीव श्रीवास्तव द्वारा रोड पर भूखंड क्रमांक 55 ए निर्मित कर विक्रय किया गया है एवं उक्त प्रकरण में बिना किसी परिषद के निर्णय एवं बिना किसी योजना के रजिस्टर्ड लीज डीड संपादित की गई है। इसमें उप पंजीयक इटारसी की संलिप्तता प्रतीत होती है। साथ ही अवैधानिक रूप से बेचे गए भूखंड पर भवन की अनुज्ञा तत्कालीन अधिकारियों द्वारा जारी की गयी थी जो नियम विरुद्ध है। जांच का यह प्रतिवेदन मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने 16 सितम्बर 2019 को संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास नर्मदापुरम संभाग होशंगाबाद को भेजकर प्रकरण में बाकी के नपा अधिकारियों व खरीदार पर एफआईआर दर्ज करने स्वीकृति मांगी गई थी जो फाइलों में दब गई थी। कुछ महीने पहले नपा ने जब ५५ ए पर कब्जाधारी को नोटिस दिया तो यह मामला कोर्ट में चला गया था।
कोर्ट में नहीं दिए दस्तावेज
कोर्ट में मामला जाने के बाद लगातार हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह कहते हुए कि नगरपालिका प्रशासन ने भूखंड के सडक़ होने, नपा का स्वामित्व होने से संबंधित और मामले में की गई जांच से संबंंंधित कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं, जैन परिवार को फिलहाल अगले आदेश तक के लिए स्टे दे दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नपा भूखंड क्रमांक ५५ और उससे सटकर बने मकान की रजिस्ट्री से भी यह साबित कर सकती थी कि जिसे भूखंड बताकर बेचा गया है वह सडक़ है। फिलहाल कोर्ट के इस आदेश से कब्जाधारी परिवार को ऑक्सीजन मिल गई है हालांकि नपा का यह कारनामा पूरे शहर में चर्चा का केंद्र बन गया है।
भूलवश हुआ या सिंडीकेट का कारनामा
कोर्ट ने निर्णय दिया है उसमें साफ तौर पर लिखा है कि नगरपालिका प्रशासन द्वारा इस भूखंड से जुड़े मामले में जो जरुरी दस्तावेज प्रस्तुत करने थे वे प्रस्तुत ही नहीं किए हैं और ना ही निष्पादित पट्टे को शून्य करने के संंबंध में प्रतिदावा प्रस्तुत किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि नपा के किन जिम्मेदारों ने सब कुछ दस्तावेज होने के बावजूद कोर्ट के सामने यह दस्तावेज क्यों नहीं रखे? सवाल यह भी उठ रहे हैं कि नगरपालिका के अधिवक्ताओं ने इस महत्वपूर्ण मामले में अनदेखी क्यों की या सिंडीकेट बनाकर मामले को निपटाने का प्रयास किया गया। इससे साबित होता है कि नपा के जिम्मेदार ही दोषियों को बचाने के लिए सक्रिय हैं।
पार्षद ने की शिकायत
इस मामले की जानकारी सामने आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ पार्षद शिवकिशोर रावत ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी पत्र लिखकर पूरे मामले के दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि शासकीय दस्तावेजों की कूटरचना के दोषियों को बचाने आवश्यक दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए गए हैं। परिषद के सदस्यों से महत्वपूणर््ा अभिलेख एवं जांच रिपोर्ट भी छिपाई जा रही हैं। कोर्ट में अभिलेख प्रस्तुत नहीं करने का कारण बताते हुए परिषद की अगली बैठक में इस मामले और इसी तरह के अन्य मामलों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
इनका कहना है
भूखंड 55 ए के मामले में आवश्यक दस्तावेजों को जानबूझकर कोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि दोषियों को बचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। हमने पत्र देकर इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई करने और अगली बैठक में इस मामले सहित समान प्रकार के अन्य मामलों की जांच रिपोर्ट परिषद के सदस्यों के सामने रखने की मांग की है।
शिवकिशोर रावत, पार्षद नपा इटारसी
इस मामले में हम कोई टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि हमने नपा के अधिवक्ता पद की जिम्मेदारी से त्यागपत्र दे दिया है। बेहतर होगा आप इस मामले में सीएमओ इटारसी से ही सवाल करें। वे ही आपको जानकारी दे सकेंगी।
भूरेसिंह भदौरिया, नपा के पूर्व अधिवक्ता
हमें इस तरह की कोई जानकारी नहीं थी कि हमें जो भूखंड आवंटित किया जा रहा है वह शासकीय भूखंड सडक़ है। इस मामले में हमें लेकर जो बातें हो रही हैं वह सही नहीं हैं।
मेघा सचिन जैन, भूखंड क्रेता
कोर्ट में स्वामित्व संबंधी दस्तावेजों को क्यों नहीं लगाया गया है। इसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। उनकी जानकारी लेकर नगरपालिका फिर से कोर्ट में अपील प्रस्तुत करने जा रही है। इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
रितु मेहरा, सीएमओ इटारसी