जिला सहकारी बैंक नर्मदापुरम के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके दुबे पर करोड़ों का गबन करने का आरोप, एफआईआर दर्ज करने की उठाई मांग..

नर्मदापुरम// हमेशा से सुर्खियों में रहने वाला नर्मदापुरम का जिला सहकारी बैंक एक बार फिर सुर्खियों में है। डूबत ऋण और संदिग्ध ऋण में कथित फर्जीवाड़े का जिन्न फिर बाहर निकला है। नर्मदापुरम के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके दुबे पर करोड़ों का गबन करने का आरोप एक बार फिर से लगा है और अधिकारी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग उठाई गई हैं। यह मांग नागरिक अधिकार जनसमस्या निवारण कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष आत्माराम यादव ने उठाई है। यादव ने एक लंबी चौड़ी शिकायत पूरे आंकड़ों के साथ आयुक्त से लेकर प्रमुख सचिव मप्र शासन से तक की है। शिकायत में सीईओ आरके दुबे पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
शिकायत में कहा गया है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित होशंगाबाद के वर्ष 2003-04 में कॉंग्रेस शासनकाल में प्रस्तुत बैंक के वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा विवरण में विशेष डूबन्त ऋण राशि 167.64 लाख तथा संदिग्ध एवं डूबन्त ऋण रूपये 1751.91 लाख रूपये था। वर्ष 2013-14 में आरके दुबे के द्वारा वार्षिक लेखा विवरण प्रस्तुत करते समय यह विशेष डूबन्त राशि वर्ष 167.64 लाख यथावत थी जिसमें कोई व्याज अथवा वसूली आदि नहीं जोड़ा गया। वहीं संदिग्ध डूबन्त ऋण राशि रूपये 11841.74 दर्शायी गयी जो वर्ष 2003-04 की तुलना में 10 हजार 90 लाख बढ़ चुकी थी। यह गंभीर जॉच का विषय है कि वह कौन लोग ऋणी थे, नये कौन जोड़े गये, जो संदिग्ध ऋण लेकर राशि डकार गये। दिनांक 16/09/2022 को अपेक्स बैंक के कर अधिकारी आर.एस. भदौरिया को जिला बैंक का मुख्य कार्यपालन अधिकारी के बतौर पदस्थी के बावजूद आरके दुबे द्वारा दिनांक 24/09/2022 को बतौर मुख्यकार्यपालन अधिकारी के बैंक की वार्षिक आमसभा में 112 वाँ वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें वर्ष 2017-18 से 2021-22 का पंचवर्षीय विवरण प्रस्तुत किया गया। वर्ष 2019-20 तक के वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा विवरण तुलनात्मक विवरिणीका में संदिग्ध एवं डूबन्त ऋण कोष में 18 वर्षों से एक ही राशि 167.64 लाख दर्ज होती रही थी जिससे आडिट शाखा व्याज आदि जोड़ने आडिट में गलत ऑकडे देने से बच नहीं सकती है जिसका लाभ उठाकर बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर. के दुबे द्वारा गत वर्ष 2020-21 में 1370.07 लाख दर्शाकर इस संदिग्ध सुबन्त ऋण खाते में 1,202.1 लाख बढ़ाये एवं वर्ष 2021-22 में यह आँकड़े 2508.15 लाख चढ़ गये। एक वर्ष में संदिग्ध डूबन्त ॠण खाते में रूपये 1138.08 लाख एवं दो वर्ष में 2340.18 लाख की राशि डूबना अपने आप में अजूबा ही कहा जा सकता है। इसी क्रम में वार्षिक आमसभा में मुख्यकार्यपालन अधिकारी आरएस भदौरिया के स्थान पर आर. के. दुबे द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन में प्रस्तुत संदिग्ध एवं डूबत ऋणकोष राशि का विवरण चौकाने वाला है जिसमें जहाँ वर्ष 2010-11 में राशि 6,442. 12 लाख, वर्ष 2011-12 में राशि 7546.80 लाख वर्ष 2012-13 में राशि 8570.04 लाख वर्ष 2013-14 में 11,841.74 लाख, वर्ष 2014-15 से लगायत चार वर्षों में एक ही राशि रूपये 11841.74 लाख, वर्ष 2018-19 में 11867.64 लाख वर्ष 2019-20 में 11883.48 लाख दर्शायी गयी है वहीं अधिकारी आर. के. दुबे ने वर्ष 2020-21 में 200 लाख बढ़ाकर 13770, 60 लाख रूपये की एवं वर्ष 2021-22 में गत वर्ष के 200 लाख के स्थान पर (2000 लाख बढ़ाकर राशि 15396.18 लाख की गयी है, जो चौकाने वाली बात है। जब आर. एस. भदौरिया मुख्य कार्यपालन अधिकारी थे तब आरके दुबे ने अवैध रूप से यह आमसभा ली और बैंक प्रशासक कलेक्टर ने दुबे के इन सभी अनुचित अवैध निर्णयों में अपनी लिखित सहमति वार्षिक प्रतिवेदन में प्रकाशनार्थ प्रदान कर आभार व्यक्त किया। बैंक में दो वर्ष में 2200 लाख रूपये का संदिग्ध डूबन्त ऋण 35127 लाख का रहा। संदिग्ध ऋण की बढोत्तरी को न तो आमसभा पटल पर पढ़ा गया न ही किसी ने इसे आवश्यक समझा। प्रशासक को ऐसे सभी बिन्दुओं और सीए की रिपोर्ट को देखकर आभार व्यक्त करना था, जिसमें उन्होंने चूक की है। ऐसी स्थिति में दुबारा बैंक की आमसभा भदौरिया द्वारा बुलाकर समस्त बिन्दुओं को संज्ञान में लेना आवश्यक है जो आरके दुबे द्वारा फर्जी आँकड़ों एवं षड़यंत्र से बैंक के करोड़ों रूपये का इन ऋण खातों में गोलमाल कर बैंक को चूना लगाया है, जो तत्काल वसूली योग्य है। अतः बैंक हित में उचित होगा कि विशेष डूबन्त ऋणखाते में 2340.18 लाख रूपये एवं संदिग्ध सुबन्त ऋण खाते में 35127 लाख रूपये के किये गये फर्जीवाड़ा एवं बैंक के लेखा विवरण में मनमानी तरीके से संदिग्ध डूबत ऋण में बढ़ायी गयी करोड़ों रूपये की राशि की जाँच कराकर इस मद मे घोटाला करने वाले अपेक्स के कैडर अधिकारी आर के दुबे एवं लेखा विभाग में उनकी टीम आडिटरों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराकर कर्जदारों के नाम, खाते सार्वजनिक किया जाकर उनकी चल-अचल सम्पत्ति से वसूली की जाये एवं बैंक की वार्षिक आमसभा पुनः करायी जाकर बैंक की वास्तविक स्थिति किसानों एवं ग्राहकों के समक्ष रखी जाये। इस मामले में जिला सहकारी बैंक नर्मदापुरम के सीईओ आरके दुबे ने कहा कि कही कोई गड़बड़ी नही हुई है। हम पर झूठे आरोप लगाए जा रहे है।