सर्वजन हॉस्पिटल में स्वास्थ्य विभाग की तालाबंदी, तीन महीने से बिना रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण के चल रहा था अस्पताल..

नर्मदापुरम। शहर में जिला अस्पताल के एमडी डॉक्टर अंशु चुघ के भाई के सर्वजन हॉस्पिटल पर स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम की कार्रवाई से हड़कंप मच गया। रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने के बाद भी तीन महीने से सर्वजन हॉस्पिटल का बेखौफ संचालन हो रहा था। जानकारी सामने आने के बाद मंगलवार को अफसर हरकत में आए और दोपहर 1.30 बजे सिविल सर्जन डॉक्टर सुनीता कामले और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आरके वर्मा टीम के साथ मालाखेड़ी रोड स्थित सर्वजन हॉस्पिटल पहुंचे। हॉस्पिटल को बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित होते पाए जाने पर सील कर दिया गया है।

अस्पताल संचालक और स्टाफ ने की बहस

सर्वजन हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने के बाद भी संचालन होने से नाराज सिविल सर्जन डॉक्टर कामले और डीएचओ डॉक्टर वर्मा ने हॉस्पिटल सील करने का कहा। जिसके बाद हॉस्पिटल के संचालक लक्ष्य चुघ और एक महिला ने टीम से बहस कर विवाद कर दिया। विवाद बढ़ने से टीम ने पुलिस को बुलाया। एक घंटे तक चले घटनाक्रम के टीम ने अस्पताल को सील कर दिया।

संचालक को पेश करना होंगे दस्तावेज

स्वास्थ्य विभाग की टीम की जांच के दौरान हॉस्पिटल में सोनोग्राफी मशीन और पांच पलंग का आईसीयू वार्ड भी मिला। सिविल सर्जन डॉक्टर कामले ने बताया कि हॉस्पिटल में सोनोग्राफी मशीन और आईसीयू वार्ड मिला है। जिसके संबंध में हॉस्पिटल मैनेजमेंट से दस्तावेज मांगे गए हैं लेकिन उन्होंने अभी हमें उपलब्ध नहीं कराए हैं। दस्तावेज मिलने के बाद पता चलेगा कि  सोनोग्राफी और आईसीयू चलाने का लाइसेंस है कि नहीं। हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन भी साल 2024 तक था। जो एक्सपायर्ड हो गया था बावजूद हॉस्पिटल का संचालन होना गैरकानूनी है।

जिला अस्पताल में पदस्थ हैं अस्पताल संचालक के भाई

नर्मदापुरम जिला अस्पताल में एक करोड़ की लागत से कोरोना के समय दस पलंग का आईसीयू बनाया गया था, लेकिन इसमें एक भी मरीज भर्ती नहीं किया गया। आईसीयू का प्रभार एमडी मेडिसिन डॉ. अंश चुघ के पास है। नर्मदापुरम शहर में मल्टीस्पेश्यलिटी सर्वजन अस्पताल डॉ. चुघ के बड़े भाई लक्ष्य के नाम से पंजीकृत है। इसमें आईसीयू भी है। डॉ. चुघ का खुद का अस्पताल है और वे ही सरकारी अस्पताल के आईसीयू के इंचार्ज हैं। ऐसे में सरकारी अस्पताल का आईसीयू बंद होना सवाल खड़े करता है। इस मामले में डॉ अंशु चुघ कहते हैं कि सरकारी अस्पताल में ड्यूटी के बाद ही निजी अस्पताल में जाते हैं। आईसीयू चालू कराने का अधिकार सिविल सर्जन के पास है।

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