जिले की नवजात गहन चिकित्सा यूनिट ने किया खुद को साबित, 79 दिन बाद नवजात शिशु को किया डेंजर जोन से बाहर….

नर्मदापुरम।  जिला अस्पताल की एसएनसीयू यानी नवजात शिशु गहन चिकित्सा यूनिट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनके पास भी किसी नवजात को सुरक्षित जिंदगी देने के लिए कड़ा संघर्ष करने का माद्दा है। इस यूनिट ने जुमेराती क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 26 की निवासी एक महिला के नवजात शिशु को महज 800 ग्राम के जन्म वजन के बावजूद जिंदगी की जंग नहीं हारने दी। यूनिट के 79 दिनों की गहन चिकित्सकीय संघर्ष की बदौलत नवजात ने जिंदगी की जंग जीत ली। जानकारी के। अनुसार 32 वर्षीय रुखसार बानो को गर्भावस्था के दौरान कई जटिलताओं का सामना करना पड़ा। वह गर्भावस्था 2, पैरा 0, गर्भपात 1 की स्थिति में थी। उसका समय से पूर्व प्रसव हुआ था। नवजात शिशु अत्यधिक कम वजन और सांस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर चुनौतियों के साथ जन्मा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शिशु को तत्काल जिला अस्पताल नर्मदापुरम की विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में भर्ती कराया गया। वहां की विशेषज्ञ टीम ने ऑक्सीजन सहायता, अंतःशिरा तरल पदार्थ और ब्रॉड-स्पेक्ट्रम आईवी एंटीबायोटिक्स के माध्यम से गहन नवजात प्रबंधन की शुरुआत की। बच्चे को एपनिया के कई एपिसोड्स का सामना करना पड़ा, जिन्हें कैफीन साइट्रेट थेरेपी से सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। इसके साथ ही फीडिंग असहिष्णुता जैसी जटिलताओं को भी टीम ने सतर्क निगरानी और क्रमिक पोषण हस्तक्षेप द्वारा संभाला। एसएनसीयू की समर्पित टीम और मां के अपार प्यार ने मिलकर इस नवजात को धीरे-धीरे स्थिरता की ओर अग्रसर किया। ऑरोगैस्ट्रिक (आरटी) फीडिंग से शुरुआत कर, शिशु को कंगारू मदर केयर (केएमसी) पद्धति में स्थानांतरित किया गया, जो शारीरिक गर्मी, वजन वृद्धि और मां-बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध को प्रोत्साहित करने में सहायक रही। 79 दिनों की कठिन लेकिन समर्पित चिकित्सकीय देखभाल के बाद शिशु को स्वस्थ एवं स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी गई।

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