जल संग्रहण क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने पर किया मंथन, जीवन के लिये बताया जल का महत्व..

नर्मदापुरम। शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ कामिनी जैन के मार्गदर्शन में ईको क्लब द्वारा विश्व आर्द्रभूमि दिवस यानी वर्ल्ड वेटलेण्ड डे पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को जल संग्रहण क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम में जीवन के लिए जल के महत्व को भी समझाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. कामिनी जैन नें कहा कि आर्द्रभूमि या वेटलेण्ड जल से भरे ऐसे भूभाग होते है जहॉं वर्ष में कम से कम आठ माह पानी भरा रहता है। ऐसे स्थानों को रामसर कहा जाता है। सामान्य भाषा में इन्हे तालाब या झील कह सकते है। इन क्षेत्रों में विभिन्न जीव-जन्तु एवं इनके चारों ओर विभिन्न विशिष्ट वनस्पतियॉं पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों के कारण भूमिगत जल का भण्डारण बढ़ता है। ग्राणीण क्षेत्रो में इन्ही ताल तलैया के कारण कुॅंओं में वर्ष भर पानी बना रहता था। धीरे-धीरे ये तालाब समाप्त होते जा रहे है। जिनके कारण इन इलाको के भूमिगत जल, वनस्पति एवं जैव विविधता का हृास होता जा रहा है। वर्तमान समय में पूरे विश्व में लगभग 1929 एवं सम्पूर्ण भारत में 49 स्थलों को वेटलेण्ड क्षैत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। भोपाल का भोज वेटलेण्ड भी उनमें से एक है। ईको क्लब प्रभारी डॉ दीपक अहिरवार ने बताया कि आज से 52 वर्ष पूर्व ईरान के एक शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 में आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं जैवविविधता में हो रहे परिवर्तनों सें संबंधित वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न देशों के द्वारा जैवविविधता के संरक्षण एवं आर्द्रभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढाने के लिए संधि पर हस्ताक्षर किये गए एवं संरक्षण कार्य को आगे बढाया गया। ईकोक्लब द्वारा छात्राओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए वर्षभर पर्यावरण एवं जैवविविधता संरक्षण से संबंधित कार्य किये जाते है। इसी तारतम्य में विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर छात्राओं को प्रेरित कर जागरूक किया गया एवं संदेश दिया कि वे अपने-अपने गॉव जाकर गांव के सरपंच एवं अन्य लोगों से अपने गांव के ताल, तलैया, तालाबों और जलसंग्रहण क्षेत्रो को पुर्नजीवित करने के लिए लोगों से चर्चा करे एवं प्रेरित करे। हम आशा करते है कि छात्राओं द्वारा उठाये गये ये छोटे-छोटे कदम और प्रयास ही सफल होंगें। इस कार्यक्रम में एम.एससी प्राणीशास्त्र से श्रृुति बैस, प्राची चौहान, अनुश्री मालवीय एवं साक्षी अमोले ने भी आर्द्रभूमि के संरक्षण को बढावा देने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रगति जोशी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. हर्षा चचाने, डॉ. पी.आर. मानकर, डॉ. यशवंत निंगवाल, डॉ.रीना मालवीय, डॉं दशरथ मीना, डॉ.चारू तिवारी, प्रीति मालवीय, रफीक अली, अजय तिवारी एवं बडी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं ।