नर्मदापुरम। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देशानुसार शासकीय गृहविज्ञान स्नातकोत्तर अग्रणी महाविद्यालय में मंगलवार 24 जनवरी को गौरव दिवस के अंतर्गत प्राचार्य डॉ कामिनी जैन के मार्गदर्शन में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती पूजन के साथ किया गया एवं सरस्वती वंदना हर्षा पुरोहित, वर्षा पुरोहित द्वारा प्रस्तुत की गई। अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल से किया गया। प्राचार्य डॉ कामिनी जैन ने कहा कि गौरव दिवस 2023 के अंतर्गत महाविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 24 जनवरी को कलेक्टर के निर्देशानुसार नर्मदापुरम के गौरवशाली इतिहास विषय पर नगर के प्रबुद्धजन अशोक जमनानी, नृत्य गोपाल कटारे, डॉ. हंसा व्यास को आमंत्रित कर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी छात्राओ को नर्मदापुरम के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने में बड़ी मददगार रही। छात्राएं अपने नगर के बारे में जानकारी प्राप्त कर इस जानकारी को अपने गांव और आसपास रहने वाले नागरिकों तक पहुंचाने का कार्य करेंगी। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अशोक जमनानी ने बताया कि हमारे शहर का प्रत्येक व्यक्ति गौरव है। चंद इमारतें एवं चंद लोगों से गौरव नहीं बनता। उन्होंने बताया कि हमारे शहर के प्रथम सांसद हरि विष्णु कामत एवं महेश श्रीवास्तव साहित्यकार जिन्होंने पत्रकारिता को उॅचाईयों तक पहुॅचाया, उनके बारे में विस्तार से बताया, उन्होंने कहा कि इस शहर को नर्मदा गोद में लेकर चलती है किसी भी देश एवं नगर का गौरवशाली इतिहास वहां के किसानों से बनता है। द्वितीय वक्ता नित्य गोपाल कटारे ने संस्कृत में कविता के माध्यम से नर्मदापुरम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि नर्मदापुरम के प्रसिद्ध स्थलों सेठानी घाट एवं सतरस्ता जो किसी भी शहर में देखने को नहीं मिलता। उन्होंने बताया कि बांद्राभान और हमारे शहर के मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। भारत की संस्कृति नर्मदापुरम में बसी है।
नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ. हंसा व्यास द्वारा छात्राओं को पीपीटी के माध्यम से नर्मदापुरम के प्रसिद्ध स्थलों एवं उनका इतिहास बताया। साथ ही उन्होंने दार्शनिक स्थलों की एक बुकलेट भी छात्राओं को उपलब्ध कराई। उन्होंने बताया कि भौगोलिक स्थान का इतिहास नहीं होता। लोगों के द्वारा दिए गए कार्यों का अध्ययन इतिहास होता है। गौरवशाली इतिहास को पन्ने पलटने की जरूरत नहीं है। गौरवमयी परंपरा के इतिहास को पत्थर एवं रेत में लिखा है क्योंकि यहां की मिट्टी में ही नहीं रेत में भी उत्पादन होता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है यहां की विश्व प्रसिद्ध विभूति कवि माखनलाल चतुर्वेदी, भवानी प्रसाद मिश्र, हरि शंकर परसाई का योगदान उल्लेखनीय हैं। नर्मदापुरम की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरस पगारे के जीवन गाथा पर प्रकाश डाला और बताया कि वर्तमान एवं भविष्य को संवारने के लिए अपने गौरवमयी परंपरा के इतिहास को अक्षुण बनाए रखना चाहिए। संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ. संगीता अहिरवार एवं आभार प्रदर्शन डॉ भारती दुबे द्वारा किया गया। संगोष्ठी में डॉ. किरण पगारे, डॉ.वर्षा चौधरी, डॉ. हर्षा चचाने, डॉ. अरुण सिकरवार, डॉ. संध्या राय, डॉ.रीना मालवीय, नीतू पवार और बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।