मछुआ प्रशिक्षण में फर्जीवाड़ा की जांच में साबित हो चुका है गबन, सहायक संचालक मत्स्य उद्योग अधिकारी पर कार्रवाई से बच रहे जिम्मेदार आला अफसर …

इटारसी. चार पहिया वाहन के नाम पर दो पहिया का फर्जी बिल बनाकर मछुआ प्रशिक्षणार्थियों को हरदा बैतूल अध्ययन का भ्रमण कागजों पर कराने वाले अधिकारी पर जांच के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सबसे बड़ी बात ये है कि जांच में उक्त अधिकारी पर गड़बड़ी करने के आरोप कथित तौर पर साबित भी हो चुके हैं। 2 साल का लंबा वक्त बीतने के बाद भी मत्स्य विभाग का उक्त अधिकारी कानून के शिकंजे से बाहर है और गड़बड़ी को उजागर करने वाले कार्रवाई की उम्मीद में ज्ञापन देते भटकने कू मजबूर हैं। गड़बड़ी करने वाले मत्स्य विभाग के अधिकारी को बचाने की इस कोशिश पर मछुआरों के संगठन ने आक्रोश जताया है। मुख्यमंत्री के नाम आयुक्त को दिए ज्ञापन में मांझी मछुआ कल्याण समिति ने कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया हैं कि तत्कालीन सहायक संचालक मत्स्य उद्योग अधिकारी अरविंद डागीवाल पर फर्जी मछुआ प्रशिक्षण की जांच के बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उक्त अधिकारी ने मछुआ प्रशिक्षण के नाम पर शासकीय राशि का गबन किया है और बेधड़क नौकरी कर रहा है। इस अफसर पर कार्रवाई नही होना भ्रष्टाचार को संरक्षण देंने की प्रवत्ति की तरफ इशारा कर रहा है। यह था मामला। सहायक संचालक मत्स्य उद्योग विभाग नर्मदापुरम ने वर्ष 19-20 में दो अलग-अलग तारीख में पूछी सूचना के अधिकार की जानकारी में एक ही दिनांक में मछुआ प्रशिक्षणार्थी की संख्या 56 और 44 बताई। यहां तक कि सादे कागजों पर चार पहिया की जगह दो पहिया वाहन का बिल बनाकर शासकीय राशि का गबन किया है। समिति की शिकायत पर तत्कालीन सहायक संचालक मत्स्य उद्योग अधिकारी डागीवाल के फर्जी मछुआ प्रशिक्षण की जांच कराई गई, जिसमें वे दोषी पाया गए थे।

समिति अध्यक्ष मोहन रायकवार ने कहा कि इस फर्जीवाड़े का खुलासा और जांच हुए करीब ढाई साल हो गए है मगर अभी तक अधिकारी पर कोई कार्रवाई नही की गई है।