–इंजनों की रिपेरिंग में करती थी मनमानी
इटारसी. भारतीय रेलवे में उन्नत थ्री-फेज ड्राइव प्रोपल्शन सिस्टम तकनीक से लैस इंजन पटरी पर दौड़ रहे हैं। इन इंजनों में खराबी आने के बाद उनमें सुधार के नाम पर अब भारतीय रेलवे को जर्मनी-स्विट्जरलैंड (jermany-switjerland) की कंपनियों की प्रेशर पॉलिटिक्स का शिकार होना पड़ता था और मनमाना पैसा देने भी मजबूर होना पड़ता था। इटारसी एसी शेड (itarsi ac shed) ने अपने हुनर के दम पर पूरी भारतीय रेलवे को इन देशों की कंपनियों की प्रेशर पॉलिटिक्स से निजात दिलाने की राह प्रशस्त कर दी है।
इन देशों पर निर्भर थी भारतीय रेल
भारतीय रेलवे में उन्नत थ्री-फेज ड्राइव प्रोपल्शन सिस्टम तकनीक से लैस इंजन पटरी पर दौड़ रहे हैं। देश के किसी भी रेलवे एसी शेड में इस सिस्टम से जुड़ी गड़बड़ी आने के बाद उसे सुधारने की कोई तकनीक नहीं थी। इसकी रिपेरिंग के लिए जर्मनी-स्विट्जरलैंड की ओएमई कंपनियों पर निर्भरता थी। वे कंपनियां गारंटी पीरियड में इन इंजनों में किसी पार्ट में गड़बड़ी आने के बाद उसे पूरा ही बदल देती थी जिसका करीब 12 लाख रुपए प्रति इंजन शुल्क लेती थी या फिर गारंटी खत्म होने पर भारतीय रेलवे पर पहले अनुबंध नवीनीकरण का दबाव बनाती थीं।
यू ट्यूब से तैयार किया सिस्टम
अब इटारसी विद्युत लोको शेड को जर्मनी और स्विट्जरलैंड की ओएमई कंपनियों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। एसी शेड के कर्मचारियों ने इन देशों की कंपनियों के सामने खुद की योग्यता को साबित करते हुए इंजनों का रिपेरिंग सिस्टम खड़ा कर लिया है। इलेक्ट्रिक लोको शेड इटारसी ने एक सप्ताह से बंद पड़े तीन इंजनों को फिर से पटरी पर दौड़ा दिया है। इटारसी के रेल कर्मचारियों और अधिकारियों ने यू-ट्यूब से सीखकर और जुगाड़ के पार्ट्स से इन इंजनों का मेंटेनेंस कर दिया। इससे करीब 36 लाख रुपए की बचत हुई है। इटारसी एसी लोको शेड के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्शन की टीम मेें वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर नीरज कुमार शर्मा के निर्देशन में महेश नागरे वरिष्ठ खंड अभियंता, सतीश गुप्ता कनिष्ठ अभियंता, गौरव चक्रधर कनिष्ठ अभियंता और आरती सिंह तकनीशियन शामिल रहे।
इटारसी के पास कुल 273 लोको
इटारसी इलेक्ट्रिक लोको शेड के पास कुल 273 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (इंजन) हैं, जो उन्नत थ्री-फेज ड्राइव प्रोपल्शन सिस्टम तकनीक से लैस हैं। यह तकनीक ट्रैक्शन कन्वर्टर, ऑक्सिलरी कन्वर्टर और व्हीकल कंट्रोल यूनिट जैसे महत्वपूर्ण घटकों पर आधारित है, जो लोकोमोटिव को सुचारु और कुशल संचालन में सहायता करती है। इन लोकोमोटिव्स के प्रोपल्शन सिस्टम की गारंटी समाप्त होने के बाद उनके खराब मॉड्यूल और इलेक्ट्रॉनिक कार्ड्स की मरमत करना बड़ी चुनौती बन गया था।
इनका कहना है
भारतीय रेलवे के लिए इटारसी एसी शेड ने एक बड़ी राह प्रशस्त की है। अभी तक एक लोको का मेंटेनेंस करने के लिए करीब 10 से 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष जर्मनी और स्विट्जऱलैंड की कंपनी को देना पड़ता था। रेलवे के चार सदस्यीय टीम में दो पैसेंजर और एक गुड्स ट्रेन के लोको को ठीक किया है। टीम ने 3 दिन में पुराने लोको के पार्ट्स और कुछ पार्ट्स को भोपाल-इटारसी से खरीदकर सुधारा है।
नवल अग्रवाल, जनसंपर्क अधिकारी भोपाल मंडल
इटारसी एसी शेड की टीम ने जो काम किया है वह पूरे भारतीय रेल के लिए बड़ा उपयोगी साबित होने वाला है क्योंकि भारतीय रेलवे अब तक जर्मनी-स्विट्जरलैंड की कंपनियों पर निर्भर थी। इससे रेलवे के हर साल लाखों रुपए बचेंगे। उन देशों की कंपनियां अब हमारी भारतीय रेलवे के साथ मनमानी नहीं कर पाएंगी।