-दोनों फर्जी रसीद कट्टों की जब्ती करने के नहीं हो रहे प्रयास
इटारसी। इटारसी शहर में जिस नई सब्जी मंडी (sabji mandi )के निर्माण को सामने रखकर विकास का चेहरा दिखाने के दावे किए गए थे उस सब्जी मंडी में हुए काले कारनामों का कच्चा चि_ा अब धीरे-धीरे खुल रहा है। सब्जी मंडी में फर्जी रसीदों के नाम पर रकम दबाने का खेल खेलने वालों को बचाने के लिए कोर्ट ने लोक अभियोजक सहित सिटी पुलिस व नगरपालिका प्रशासन (itarsi nagarpalika )पर भी तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट में जिन दो रसीदों के फर्जी होने की पुष्टि हुई है उससे जुड़ा एक महत्वपूर्ण सवाल अब तक मुंह उठाकर खड़ा है कि इन रसीदों की मूल गड्डी कहां है और उसकी जब्ती करने के प्रयास क्यों नहीं हो रहे हैं। इन दो रसीद कट्टों से हो सकता है कि लगभग 3 करोड़ रुपए एकत्रित किए गए हों हालांकि अभी यह बात अधिकृत तौर पर नहीं कही जा सकती है। सही तरीके से जांच के बाद ही इस आंकड़े का खुलासा हो सकता है।
कोर्ट में रिकार्ड पर चढ़ी ये दो रसीदें
सब्जी मंडी में एक दुकान के मामले में सुनवाई के दौरान जो दस्तावेज सामने रखे गए थे उनमें दुकानदार कृष्णा राय (krishna bangali)की तरफ से एक रसीद बुक क्रमांक 1०८३ प्रस्तुत की गई और एक अन्य मामले में ज्वलेर्स शंकर रसाल द्वारा एक रसीद बुक क्रमांक 1091 प्रस्तुत की गई हैं। नपा के अफसरों के रिकार्ड से मिलान के बाद यह दोनों रसीदें फर्जी साबित हुई हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब रसीदें जमा हुई हैं तो फर्जी रसीदों (fake receipt)के दोनों कट्टे कहां लापता हो गए वे अब तक पिक्चर में क्यों नहीं लाए जा रहे हैं। इटारसी नगरपालिका प्रशासन और सिटी पुलिस दोनों ने ही इन दोनों रसीद कट्टों की जब्ती के लिए कुछ नहीं किया है।
आइए समझते हैं…३ करोड़ का गणित
दुकानदार कृष्णा राय और ज्वेलर्स शंकर रसाल (jweller shankar rasal)के मामले में कोर्ट के सामने दो रसीदें आई हैं जिनके बुक क्रमांक 10८३ और 1091 हैं। इन रसीदों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपए लिए गए हैं। नपा की एक रसीद गड्डी में करीब 100 रसीदें होती हैं इस लिहाज से दोनों गड्डियों की कुल 200 रसीदें होती हैं। दो रसीदें कटने के बाद कुल 198 रसीदें बचती हैं। अब संभावना यह भी है कि अगर सभी रसीदें इन्हीं दोनों गड्डियों से काटी गई हैं तो डेढ़ लाख रुपए प्रति रसीद के हिसाब कुल 200 रसीदों का प्रीमियम अमाउंट करीब 3 करोड़ रुपए होता है या यह भी हो सकता है कि प्रीमियम राशि का यह आंकड़ा 3 करोड़ से कम भी हो फिर भी उसका नपा में जमा नहीं होना अमानत में खयानत तो माना ही जाएगा।
सितंबर माह में हुआ था प्रस्ताव पास
इसी वर्ष सितंबर माह में नगरपालिका परिषद का सम्मेलन हुआ था। उस सम्मेलन में भी फर्जी रसीदों का मामला उठा था। सब्जी मंडी में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर लगभग 24 से अधिक दुकानों के आवंटन निरस्त करते हुए संबंधित लोगों पर कानूनी कार्यवाही की सहमति बनी थी। दुकानों के गलत आवंटन की शिकायत पर बनी प्राधिकार समिति के निर्णय को लागू करने और प्रत्येक वैध दुकानदार से दुकान का कलेक्टर दर पर प्रीमियम 24 माह में जमा कराने का निर्णय हुआ था। इसी में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आवंटित की गई दुकानों की नीलामी नगरपालिका परिषद द्वारा कराना भी तय हुआ था। वरिष्ठ पार्षद शिवकिशोर रावत ने कुछ नाम गिनाए थे और कहा कि इन्हें कभी किसी ने सब्जी मंडी में नहीं देखा लेकिन उनके नाम से दुकानें आवंटित हो गईं। उन्होंने कहा कि फर्जी रसीदें बनाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए। जिस पर परिषद ने सहमति जताई थी मगर अब तक इटारसी नपा प्रशासन ने एफआईआर करने में रुचि नहीं दिखाई है। इटारसी नगरपालिका ने कुछ कर्मचारियों को नोटिस देकर नामांतरण से जुड़े दस्तावेज और आदेश पत्र दिखाने के लिए कहा है।
सही जानकारी कोर्ट देने का तर्क
सब्जी मंडी की दुकान से जुड़े मामले में कोर्ट से मिली तीखी टिप्पणी और कथित तौर पर लोक अभियोजक द्वारा जानबूझकर की गई त्रुटियों से हुई किरकिरी के बाद इटारसी नगरपालिका बहुत गंभीर है। इटारसी नगरपालिका प्रशासन का तर्क है कि कोर्ट ने जो भी दस्तावेज मांगें हैं वे जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों को दो नोटिस जारी हो चुके हैं। अंतिम नोटिस के बाद उन पर एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई होगी। उसके बाद पुलिस प्रशासन ही उनसे पूछेगा कि उन्होंने जो गड़बडिय़ां की हैं वे कब और किस अधिकार से किसके कहने पर की हैं।
इनका कहना है
सितंबर 2024 में हुए परिषद के सम्मेलन में हमने फर्जी रसीदें काटने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर एफआईआर कराने की मांग की थी। परिषद ने प्रस्ताव भी पास किया है मगर अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर नहीं की गई है।
शिवकिशोर रावत, शिकायतकर्ता पार्षद
नगरपालिका किसी को बचाने का कोई प्रयास नहीं कर रही है बल्कि हमने राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों को दो बार नोटिस देकर उनसे समस्त दस्तावेज मांगे हैं अगर वे उन्हें प्रस्तुत नहीं करेंगे तो फिर हम पुलिस में एफआईआर कराने का पत्र जारी करने में देर नहीं करेंगे। फिर पुलिस ही उनसे पूछताछ करेगी कि उक्त गड़बडिय़ां उन्होंने कब, किस अधिकार से और किसके कहने पर की हैं।
पंकज चौरे, नपाध्यक्ष इटारसी