सनातन संस्कारों और अध्यात्म पर होगा फोकस
नर्मदापुरम। समेरिटंस ग्रुप ऑफ स्कूल्स ने शिक्षा के क्षेत्र में इस बार भी अनूठी पहल करने का कदम उठाया है। ग्रुप ने अपना आगामी शिक्षा सत्र को भगवान जगन्नाथ को समर्पित करने का निर्णय लिया है। यह पहल करने का संस्थान का उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही उनमें बाल्यकाल से ही भारतीय संस्कृति, सनातन संस्कार और आध्यात्मिक चेतना का विकास करना है। विद्यालय संचालन समिति ने तय किया है कि आगामी शिक्षण सत्र 2025-26 भगवान जगन्नाथ जी को समर्पित रहेगा। इस दौरान पूरे सालभर समूह के सभी विद्यालयों में भगवान जगन्नाथ जी की कथाओं का पठन-पाठन और चिंतन विशेष रूप से किया जाएगा। कथाओं पर आधारित प्रतियोगिताओं का भी आयोजन स्कूल और इंटर स्कूल स्तर पर किए जाने की योजना है। साथ ही इस सत्र यानी 2025-26 में प्री प्राइमरी कक्षाओं नर्सरी, केजी वन और केजी टू में नवीन प्रवेश के लिए एडमिशन फीस नहीं ली जाएगी। यानी बच्चों को फ्री एडमिशन दिया जाएगा। उनमें केवल शिक्षण शुल्क और एक्टिविटी फीस (गतिविधि शुल्क) ही लिया जाएगा। यह योजना पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर होगी। इस योजना का लाभ केवल 20 जनवरी तक ही मिल सकेगा। हालांकि प्रवेश लेने वाले बच्चों को शिक्षण शुल्क नवीन सत्र 1 अप्रैल से ही देय होगा। समूह के डायरेक्टर डॉ आशुतोष कुमार शर्मा ने बताया कि समूह का मूल उद्देश्य बच्चों में संस्कारों और अध्यात्मिक चेतना का विकास रहा है। इसके लिए समूह के सभी विद्यालयों में विशेष गतिविधियों को आयोजन किया जाता है। पिछले साल अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला प्रवेशोत्व योजना चलाई गई थी। इस दौरान साल भर भगवान राम के चरित्र पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। साथ ही बच्चों के प्रवेश के लिए एडमिशन फीस को शून्य किया गया था। उन्होंने बताया कि हाल ही में नगर के समीप स्थित डोंगरवाड़ा गांव में मां नर्मदा के स्वप्नादेश और उनके संकल्प के बाद मंदिर का निर्माण किया गया और भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। यह समूचे जिलेे और क्षेत्र के लिए शुभ मंगल का द्योतक है। आने वाले दिनों में यह पूरे देश की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बिंदु बनेगा। इसी बात को ध्यान में रखकर समूह के विद्यालयों में इस वर्ष जगन्नाथ जी महोत्सव मनाया जाएगा। डा शर्मा ने बताया कि सनातन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस तरह की पहल आवश्यक और अनिवार्य है। संस्कारों से ही परिवार, समाज और देश की रक्षा की जा सकती है। समाज और देश हित को ध्यान में रखकर समेरिटंस द्वारा सदैव ही इस तरह की रचनात्मक पहल को बढ़ावा दिया जाता रहा है।