इटारसी। इटारसी से बैतूल के बीच टाइगर कॉरीडोर के चक्कर में कई जगहों पर रुका फोरलेन सडक़ निर्माण का काम अब नई डिजाइन किया जाएगा। इन हिस्सों में फोरलेन को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि वन्यप्राणियों की जिंदगी भी सुरक्षित रहेगी और वाहनों की आवाजाही भी निर्बाध होती रहेगी। इन हिस्सों में निर्माण कार्य के लिए एनएचएआई ने टेंडर प्रक्रिया के साथ हाईकोर्ट के लगे हुए स्टे को हटवाने के लिए प्रक्रिया कर दी है। इटारसी से बैतूल के बीच जिस 21 किमी के हिस्से में यह निर्माण होना है उसके लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI)के भोपाल मुख्यालय की टीम ने उन स्थानों का निरीक्षण किया। टीम ने पूरे निर्माण को वन्यप्राणियों की सुरक्षा के हिसाब से बनाने पर फोकस किया है।
हाईकोर्ट स्टे से रुका था काम
इटारसी से बैतूल (itarsi-betul fourlane)के बीच बागदेव के पास, भौंरा क्षेत्र और बरेठा घाट क्षेत्र में टाइगर कॉरीडोर आने और उनकी व अन्य वन्यप्राणियों की सुरक्षित आवाजाही को आधार बनाकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी जिसके बाद कोर्ट ने इन हिस्सों में काम पर रोक लगा दी थी। करीब आठ महीने से इन तीनों हिस्सों में करीब 21 किमी की फोरलेन सडक़ का काम रुका हुआ है।
एनबीडब्ल्यूएल से मिली अनुमति
नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ यानी एनबीडब्ल्यूएल की आपत्ति के बाद एनएचएआई ने इन तीनों हिस्सों में सडक़ की नई डिजाइन बनाकर उसका प्रपोजल भेजा था। एनएचएआई की नई डिजाइन को एनबीडब्ल्यूएल की स्वीकृति मिल गई है। वहीं एनएचएआई ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट का स्टे हटाने की प्रक्रिया भी कर दी है। साथ ही नई डिजाइन से निर्माण कार्य कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी कर दी है।
यह बनेंगे अब नए स्ट्रक्चर
एनएचएआई की जिस डिजाइन को 21 किमी के हिस्से के लिए अनुमति मिली है उसे वन्य प्राणियों की आवाजाही के लिहाज से तैयार किया गया है। विभागीय जानकारी के अनुसार इस 21 किमी लंबाई में करीब 10 अंडरपास, २ ओवरपास, ३ रेलवे ओवरब्रिज, 25 बॉक्स सहित अन्य संरचनाएं बनाई जाएंगी।
इनका कहना है
एनएचएआई ने एनबीडब्ल्यूएल को जो नई डिजाइन का प्रस्ताव भेजा था उसे एप्रूवल मिल गया है। जल्द ही उन हिस्सों में काम चालू होने की उम्मीद है।
मयंक गुर्जर, डीएफओ नर्मदापुरम
हमने नेशनल बोर्ड आफ वाइल्ड लाइन के मानकों के हिसाब से इटारसी से बैतूल के बीच तीन जगहों पर करीब 21 किमी में नई डिजाइन से फोरलेन सडक़ का प्रस्ताव भेजा था। उसे स्वीकृति मिल गई है। हमने टेंडर प्रक्रिया करने के साथ ही हाईकोर्ट से स्टे हटाने की प्रक्रिया भी कर दी है। पिछले दिनों मुख्यालय की टीम ने उक्त हिस्से का साइट इंस्पेक्शन भी किया है।
नीरज सेन, साइट इंजीनियर एनएचएआई