12 साल की लंबी लड़ाई के बाद जनता को मिली जीत, कांग्रेस नेता के हिस्से लगा जोरदार झटका….

इटारसी। गांधीसभा की दुकानों का मामला पहले ही कोर्ट में चले जाने से कांग्रेस नेता राकेश चतुर्वेदी की मुश्किलें बढ़ गई थी वही अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मालवीयगंज स्थित आरएमएस कालोनी के खुले मैदान के संबंध में मप्र शासन के अपर सचिव राजस्व विभाग के आदेश को निरस्त करने के आदेश ने कांग्रेस नेता की परेशानी को और बढ़ा दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से बारह साल की लंबी लड़ाई के बाद जनता को जीत हासिल हुई तो कांग्रेस नेता राकेश चतुर्वेदी के हिस्से जोरदार झटका आया है। अब यह मैदान स्कूल एवं कालोनीवासियों के उपयोग में आयेगा। पूर्व पार्षद अनिल झा की याचिका पर हाईकोर्ट ने जनहित में यह फैसला दिया है। श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन में  जानकारी देते हुए पूर्व पार्षद अनिल झा ने बताया कि मालवीयगंज क्षेत्र में आरएमएम कालोनी के उपयोग के लिये एक खुला मैदान है, जिस पर कुछ लोगों ने अपना मालिकाना हक जताते हुए इसे बेचने के लिए प्रयास किये थे मगर न्यायालय ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया है।

यह था मामला

यह मैदान कालोनी वासियों के सार्वजनिक उपयोग के लिये छोड़ा था। टाउन एण्ड ट्री कन्ट्री प्लोनिंग विभाग ने 1988 में कॉलोनी बनाने की अनुमति स्व. हरिप्रसाद चतुर्वेदी को दी थी। वर्षों तक यह खाली मैदान बना रहा बाद में स्थानीय नागरिकों के अनुरोध पर यहां एक शासकीय प्राथमिक शाला भवन बनाया एवं शेष खुला मैदान यथावत रहा। स्व. हरिप्रसाद चतुर्वेदी के पुत्र राकेश चतुर्वेदी ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इटारसी को पत्र देकर कहा कि उनकी भूमि पर स्कूल बन गया है। भूमि प्रयोजन बदल गया है। अतः उसका मुआवजा दिया जाए। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने अपना अभिमत 26 जुलाई 2005 को कलेक्टर होशंगाबाद को भेज दिया।

पूर्व पार्षद ने एसडीएम के अभिमत के विरोध में अपील की

इसी बीच वार्ड 16 के तत्कालीन पार्षद अनिल झा ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के अभिमत के विरुद्ध कलेक्टर होशंगाबाद को अपील की जिसमें कलेक्टर ने 26 जुलाई 2005 को आदेश देते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इटारसी के अभिमत को निरस्त करते हुए आदेश दिया कि उपरोक्त भूमि क्षेत्र के रहवासियों के लिए रहेगी और उसका सार्वजनिक उपयोग ही होगा। भूमि स्वामी राकेश चतुर्वेदी ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को भ्रमित करते हुए 31 मार्च 2008 को अभिमत जारी करा लिया जिसमें लिखा था कि उपरोक्त जमीन की लैंड यूज/बदल गया है। इसलिए संबंधित पक्षकार को मुआवजा दिया जा। इसी आधार पर प्रशासकीय प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए राकेश चतुर्वेदी ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के अभिमत पर अपर सचिव राजस्व मप्र शासन से 07 जून 2012को कलेक्टर होशंगाबाद के लिये सीधे प्रशासकीय आदेश करवाया कि 31 मार्च 2008 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व इटारसी ने जो अभिमत दिया है उसका पालन करा जाए।

पूर्व पार्षद पहुंचे जबलपुर हाईकोर्ट

पूर्व पार्षद अनिल झा ने रिट याचिका क्रमांक 21405/2012 दिनांक 07.06.2012 को उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रस्तुत की जिसमें दिनांक 25.09.2024 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विशाल धगट ने अनिल झा के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि 26.07.2005 का कलेक्टर का आदेश अघ्य न्यायिक आदेश है। उक्त आदेश को किसी भी न्यायालय द्वारा रद्द या स्थगित नहीं किया है। अपर सचिव प्रशासकीय निर्देश नहीं दे सकते हैं। इसी के मद्देनजर अनिल झा की याचिका स्वीकार की गई एवं अपर सचिव के आदेश दिनांक 07.06.2012 को उच्च न्यायालयप्रस्तुत की थी। 25 सितंबर 2024 को उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए अनिल झा द्वारा दायर रिट याचिका क्रमांक-21/405/12 का उल्लेख किया और कहा कि यह जमीन कालोनी के लिए टाउन एण्ड ट्री कन्ट्री प्लानिंग द्वारा खुली छोड़ी गई थी। याचिका कर्ता को कोई मुआवजा देने की आवश्यकता नहीं है। इसीलिए याचिका को खारिज कर दिया गया।