जबलपुर की युवती को पचमढ़ी में बंदर का हमला पड़ा 1.25 लाख का, अब तक है मन में।दहशत…

नर्मदापुरम। मध्यप्रदेश के खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी(hill station pachmadhi) में बंदरों ( monkey )ने पर्यटकों (tourist)को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पिछले एक महीने में 60 से ज्यादा मामले ऐसे आए हैं जिनमें पर्यटकों पर बंदरों ने हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया है। हाल ही में जबलपुर (jabalpur) की एक युवती पर हुआ बंदर का हमला परिवार को करीब सवा लाख रुपए का पड गया।  जबलपुर की इस युवती को बंदर ने हाथ में इतना जोर से काटा कि डॉक्टरों को पैर की चमड़ी काटकर हाथ पर लगाना पड़ी। युवती को शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दी गई।शुक्रवार को ही पचमढ़ी के बाजार में टूरिस्ट की गाड़ी से बंदर 1 लाख रुपए से भरा बैग ले भागा था। महाराष्ट्र से आए टूरिस्ट और लोकल लोग उसके पीछे दौड़े। बंदर ने मकान की छत पर 500-500 के नोट बिखेर दिए थे। बाद में लोगों ने नोट और बैग उठाकर टूरिस्ट को वापस किए।

कट गई थी युवती की नसें, ऑपरेशन में 1.25 लाख खर्च

जानकारी के अनुसार जबलपुर की दीपा चौधरी एक हफ्ते पहले पचमढ़ी घूमने पहुंची थी। हांडी एरिया में उनको बंदर ने हाथ में काट लिया, जिससे नसें डैमेज हो गईं। शुरुआती इलाज पचमढ़ी में हुआ। दूसरे दिन जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल(metro hospital) में एडमिट हुईं। उनके हाथ की सर्जरी की गई। डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के बाद कटी हुई जगह पर नसों को जोड़ा गया। पैर की चमड़ी निकाल कर कटी हुई जगह पर लगाई गई। दीपा का कहना है कि ऑपरेशन और अस्पताल को मिलाकर अब तक 1.25 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। हाथ पूरी तरह ठीक होने में महीनों लगेंगे।

लाल मुंह के बंदर के हमले पर मुआवजे का प्रावधान नहीं

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति का कहना है कि लाल मुंह के बंदर को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट से अलग कर दिया गया है। लाल मुंह का बंदर काटता है या हमला करता है तो अब पीड़ित का इलाज वन विभाग की ओर से नहीं कराया जाता है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन के पहले हम इलाज और मदद राशि देते थे। अब कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से यह राशि दी जाएगी।

पर्यटक देते हैं खाद्य सामग्री

एसटीआर के सहायक संचालक संजीव शर्मा ने कहा कि बंदर ऐसे एग्रेसिव नहीं होते हैं। लोग बंदरों को खाने का सामान देते हैं और कई बार उन्हें ललचाते हैं इसलिए बंदर हमला करते हैं। पर्यटकों से कहा जा रहा कि बंदरों को खाने पीने का सामान न दें। धूपगढ़ में खाने की कोई भी चीज ले जाने पर रोक लगाई है। प्लास्टिक बोतल पर भी बैन है, पर्यटक स्टील की बोतल में पानी ले जा सकते हैं।