नर्मदापुरम। नर्मदा पुराण नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने नगरपालिका के मौजूदा सीएमओ नवनीत पांडे के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ने कलेक्टर को की शिकायत में कहा है कि हाई कोर्ट में चल रहे एक जमीन पर अतिक्रमण संबंधी प्रकरण में सीएमओ नवनीत पांडे ने बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति लिए और मामले से जुड़े दस्तावेज बिना चेक किए अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। सीएमओ का यह कृत्य शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने और अतिक्रमण करने वालों का संरक्षण करने की श्रेणी में आता है इसलिए सीएमओ नवनीत पांडे कें खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
यह की गई है लिखित शिकायत
पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने कलेक्टर नर्मदापुरम को पत्र देकर कहा है कि 50 करोड़ से अधिक कीमत की भूमि खुर्दबुर्द करने की नीयत से हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरण में बिना नगरपालिका परिषद, जिला प्रशासन और राज्य शासन की सक्षम अनुमति के सीएमओ नवनीत पांडे ने जबाव प्रस्तुत किया है। इस जवाब में जमीन पर अतिक्रमण होने के कथित प्रमाण होने के बाद भी अतिक्रमण नही होना पाया गया का जवाब दिया गया है।ऐसा जवाब देने पर नगरपालिका सीएमओ नवनीत पांडे के खिलाफ कार्रवाई कर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
इस भूमि का दिया शिकायत में हवाला
नगर के बीच बाजार स्थित शीट क्रमांक 43 व खसरा नंबर 15/1 की जमीन का हवाला शिकायत में दिया गया है। शिकायत में कहा गया है कि उक्त भूमि नगरपालिका परिषद की भूमि है। इस पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर निर्माण किया गया है। यह बात पूर्व में प्रशासन ने स्वीकार की है। इस अतिक्रमण को हटाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसी मामले में जवाब मांगा गया था। सीएमओ नवनीत पांडे ने अपने जवाब में वहां किसी का भी अतिक्रमण नही है, यह लिखकर दिया हैऔर जबाव देने के लिए कोई स्वीकृति भी सक्षम अधिकारी से प्राप्त नहीं की। यह जवाब बिना नजूल और नगरपालिका के दस्तावेज के अवलोकन के दिया गया है। जबकि पूर्व में ही यह तय हो चुका था कि उक्त भूमि के संबंध में बिना परिषद की स्वीकृति के कोई पत्राचार नही किया जाएगा।
यह बताया गया जमीन का दाम
शिकायतकर्ता पूर्व नपाध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल ने कहा कि उक्त भूमि का बाजार मूल्य 15000 रूपए वर्गफीट है। उक्त भूमि की रक्षा करना सीएमओ की जिम्मेदारी है। अतिक्रमणकारी को मालिक की हैसियत से कब्जाधारी बताना अमानत में खयानत है। बिना सक्षम स्वीकृती के अनापत्ति देना अपराध की श्रेणी में आता है। खंडेलवाल ने कहा कि इस भूमि पर अतिक्रमण है यह पहले ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ही बता दिया गया है। 11/06/2003 को नजूल अधिकारी द्वारा विधायक धूलसिंह यादव के विधानसभा प्रश्न के जबाव में भी उक्त भूमि पर अतिक्रमण सिद्ध किया गया था। वर्ष 2006 में भी नजूल अधिकारी द्वारा उक्त जमीन पर अतिक्रमण बताया गया था। सीएमओ द्वारा शपथपत्र के साथ हाईकोर्ट को फर्जी जबाव प्रस्तुत किया जाना निश्चित तौर पर नगरपालिका परिषद, जिला प्रशासन, राज्य सरकार के साथ धोखा है और करोड़ो की जमीन अतिक्रमणकारियों को सौंपने का आपत्तिनजक कार्य करने की चेष्टा है। इसे आर्थिक गबन का मामला मानते हुए जांच कर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
इनका कहना है
50 करोड़ से अधिक कीमत की भूमि खुर्दबुर्द करने की नीयत से हाईकोर्ट में चल रहे प्रकरण में बिना नगरपालिका परिषद, जिला प्रशासन और राज्य शासन की सक्षम अनुमति के सीएमओ नवनीत पांडे ने जबाव प्रस्तुत किया है। ये कहीं ना कहीं अतिक्रमणकारियों को जमीन देने और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का कृत्य है। इसी मामले को हमने शिकायत की है और सीएमओ पर प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
अखिलेश खंडेलवाल, पूर्व नपाध्यक्ष
इस मामले में चर्चा के लिए सीएमओ नवनीत पांडे को उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया मगर उन्होंने ना तो फोन रिसीव किया और ना ही ही कॉल बैक किया।