जिले के नामी डॉक्टर ने 4 साल पहले ड्राइवर को बेहोश कर किए थे लाश के 30 टुकड़े, कोर्ट ने सुनवाई के बाद सुनाई आजीवन कारावास की सजा..

नर्मदापुरम। वर्ष 2019 में जिले के एक नामी डॉक्टर को अपने ड्राइवर की जघन्य हत्याकांड के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है। इस हत्याकांड ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी थी। करीब चार साल पहले आनंद नगर में रहने वाले सरकारी अस्पताल में पदस्थ एमबीबीएस डॉक्टर सुनील मंत्री द्वारा अपने ही ड्राइवर की हत्या कर शव के करीब 32 टुकड़े करके एसिड में शव को गलाने के मामले में मंगलवार को द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश हिमांशु कौशल की अदालत ने आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 

3 बार में 30 टुकड़े किए थे ड्राइवर के शव के

 4 फरवरी 2019 को आरोपी डॉ. सुनील मंत्री ने अपने ड्राईवर जुमेराती निवासी वीरू उर्फ वीरेंद्र पचौरी की जघन्य हत्या कर दी थी। डॉक्टर ने पहले वीरू को ग्राऊंड फ्लोर पर बेहोशी का इंजेक्शन लगाया। इसके बाद आपरेशन करने वाली ब्लेड से उसका गला रेंता। हत्या के बाद डॉक्टर वीरू की बॉडी को सीढ़ियों के सहारे प्रथम तल पर ले गया। जहां उसकी बॉडी के तीन बार में तीस से ज्यादा टुकड़े किए।

शव को ठिकाने लगाने एसिड का किया इस्तेमाल 

ड्राइवर वीरू के शव को ठिकाने लगाने के लिए डॉक्टर ने बॉडी के टुकड़े कर एसिड के ड्रम में डाल दिए। इस दौरान पुलिस को मुखबिर से सूचना मिल गई। पुलिस की गाडियां डॉक्टर के घर पहुंची। जैसे ही पुलिस घर में घुसी तो डॉक्टर बाथरूम में बैठकर बॉडी के आखरी बचे हिस्से के टुकड़े करता रंगेहाथ पकड़ाया था।

ड्राइवर की पत्नी की चिंता से खुला राज

जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि फरियादी लक्ष्मीनारायण के द्वारा बताया गया कि उसका लड़का वीरेन्द्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानीबाई के साथ जुमेराती में रहता था तथा डॉक्टर सुनील मंत्री के यहां ड्राइवरी करता था। पहले मेरी बहु रानीबाई भी वहीं काम करती थी। दिनांक 04 फरवरी 2019 के शाम करीबन 4:00 बजे मेरी बहु रानीबाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नहीं लग रहा है आपके यहां आए है क्या तब फरियादी ने कहा कि नहीं आया है, कहा कि कही गाड़ी लेकर गया होगा आ जाएगा। लेकिन 5 फरवरी 19 को रानीबाई ने फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नहीं आया है, तब फरियादी ने अपने भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीबन 1 बजे डा. सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गए, किंतु डॉक्टर ने उनसे बहस करके उन्हें भगाने लगे तो परिजनों को संदेह हुआ तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद वहां पर पुलिस टीम पहुंच गई थी। टीआई  ने डॉक्टर सुनील मंत्री के घर में तलाशी की थी। तो ऊपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें वीरू का कटा सिर और कटा पाव, धड़ दिख रहा था। वहीं बाथरूम में बांया पैर, कटे हुए हिस्से तथा 03 आरी पडी दिखी है। जिस पर वीरू के परिजनों ने ड्रम में पड़े सिर और चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेन्द्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेन्द्र को डॉ. सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला और उसकी लाश के टुकड़ों को गलाने के लिये ड्रम में एसिड में डाल दिया।

25 गवाहों के हुए बयान

मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने डॉ. सुनील मंत्री पर धारा 302, 201 भादवि का प्रकरण कायम कर विवेचना में लिया था। प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी डॉ. सुनील मंत्री के विरूद्व अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302, 201 भादवि का प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराए गए व प्रकरण संपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्य होकर डीएनए रिपोर्ट, वैधानिक साक्ष्य के आधार पर दोषी पाया गया। मंगलवार को माननीय न्यायालय द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश हिमांशु कौशल के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया। अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गए तर्कों से सहमत होकर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को धारा 302, 201 भा.द.वि. में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास तथा 15 हजार ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अरूण कुमार पठारिया ने  की।