इटारसी। नर्मदापुरम और हरदा जिले में हरित क्रांति लाने वाला तवा बांध अब धीरे-धीरे हाईटेक किया जा रहा है। तवा बांध के कैचमेंट एरिया में बारिश के दौरान आने वाले पानी के भंडार की निगरानी के लिए 1 करोड़ की लागत से आर्टिडॉज सिस्टम लगाने की योजना है। इसके लिए जलसंसाधन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। बांध के गेटों को खोलने और बंद करने का बरसों पुराना सिस्टम भी बहुत जल्द विदा ले लेगा। अब बांध में अत्याधुनिक तकनीक वाला सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एग्वीजिशन सिस्टम यानी स्काडा सिस्टम लगाया जा रहा है। तवा बांध के इस सिस्टम से लैस होते ही कंट्रोल रूम में बैठे-बैठेे ही केवल बटन दबाने से बांध के गेट खुल जाएंगे। तवा बांध में पानी के इनफ्लो और आउटफ्लो की पूरी जानकारी भी कंप्यूटर में फीड होगी।
पुणे व बेंगलुरू की कंपनी कर रही अपडेशन
तवा बांध में गेट ऑपरेशन के सिस्टम को हटाने के लिए पहले पुणे और बेंगलूरु की कंपनी ने पूरी डिटेल ली थी इसके बाद बांध में स्काडा सिस्टम लगाने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। इन कंपनियों ने अब यह काम शुरू कर दिया है। इसे ऑपरेट करने के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा। यहां से कर्मचारी को बैठे-बैठे बांध के जलस्तर की जानकारी मिल जाएगी। इसके साथ ही अगर बांध के गेट खेलने की जरूरत पड़ी तो एक बटन दबाते ही गेट खुल जाएंगे। बांध के जलस्तर से लेकर गेटों को आपरेट करने की पूरी जानकारी अधिकारियों को मोबाइल पर दिखाई देगी। विभाग का दावा है कि बारिश के पहले पूरा सिस्टम लगा दिया जाएगा।
तकनीक से रहेगी कैचमेंट एरिया पर नजर
तवा बांध का कैचमेंट एरिया भी बहुत बड़ा है। जल संसाधन विभाग ने बांध के कैचमेंट एरिया को हाईटेक करने के लिए एक करोड़ की लागत से कैचमेंट एरिया में आरटीडाज सिस्टम लगाने की योजना बनाई है। इससे बाढ़ और मूसलाधार बारिश होने पर विभाग को कैचमेंट एरिया में कितनी बारिश हो रही है, इसका पता चलता रहेगा। इसके साथ ही बांध के कैचमेंट एरिया में कितना पानी है, इसका लेवल भी ऑनलाइन मिल जाएगा। आरटीडाज सिस्टम से भोपाल में वरिष्ठ अधिकारी भी मोबाइल पर तवा बांध के कैचमेंट एरिया की जानकारी ले सकेंगेे।
अभी हाइड्रोलिक सिस्टम के भरोसे स्टाफ
तवा बांध में वाटर लेवल क्षमता से ज्यादा होने पर गेटों को खोलने की स्थिति में अभी हाइड्रोलिक सिस्टम काम करता है। अभी तक जलस्तर लेने के लिए कर्मचारी को पानी के करीब तक जाना पड़ता है। इसके बाद वहां पत्थर पर बने लेवल को देखकर जलभराव का स्तर निकाला जाता है। इसी तरह बांध के लेवल पूरा होते ही गेट खेलने के लिए भी अधिकारियों की मौजूदगी में कर्मचारियों की टीम गेट तक जाती है। इसके बाद हाईड्रोलिक सिस्टम के जरिए गेटों को खोला जाता है।
अपडेशन कर रहे हैं
तवा बांध को उन्नत तकनीक से जोड़ा जा रहा है। अभी पहले चरण में हाईड्रा मेट्रोलॉजी द्वारा स्काडा सिस्टम लगाया जा रहा है जिससे गेटों का ऑपरेशन हो सकेगा। इसके बाद कैचमेंट एरिया को हाईटेक सिस्टम से जोडऩे के लिए आरटी डाज सिस्टम भी लगाने की योजना है। इसके लिए एक करोड़ के प्रोजेक्ट को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।
वीरेन्द्र कुमार जैन, ईई, जल संसाधन विभाग