नाबालिक ने दोस्त के बहकावे में आकर घर से गायब किये थे 4 तोला सोने के आभूषण, भविष्य खराब होने से बचाने परिजनों और पुलिस ने मामले को किया खत्म…

नर्मदापुरम। कुछ दिन पहले पटवारी राकेश यादव निवासी सिद्धेश्वर कालोनी मालाखेड़ी रोड नर्मदापुरम के सूने आवास से सोने के आभूषण चोरी होने के मामले का खुलासा हो गया है। ये आभूषण किसी बाहरी व्यक्ति ने नही बल्कि पटवारी के नाबालिक बेटे ने दोस्त के बहकावे में आकर गायब किये थे। नाबालिग बेटे का मकसद उन जेवरों को बेचकर उससे आये रुपयों को ब्याज पर देकर लाभ कमाने का था। मामले का खुलासा होने के बाद नाबालिग के भविष्य की खातिर पुलिस और परिजनों ने कॉउंसलिंग कर मामले का निपटारा कर दिया। आपको बता दें कि सिध्देश्वर कालोनी निवासी पटवारी राकेश यादव बाहर गए थे और घर मे ताला लगा था। जब वे लौटे तो घर के दरवाजे खुले माइक थे और करीबन 4 तोला वजनी सोने के जेवर गायब थे। उन्होंने इसकी शिकायत कोतवाली पुलिस से की थी। शिकायत पर जांच प्रारंभ हुई तो जांच में पाया गया कि घटना वाले दिन प्रार्थी अपने घर में ताला लगाकर चाबी वहीं पास में रखकर बाहर चले गए थे। पुलिस के द्वारा घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने पर पाया गया कि घटना में किसी परिचित व्यक्ति का हाथ है। जांच आगे बढ़ने पर संदेह की सुई पटवारी के नाबालिक पुत्र की तरफ गई। प्रार्थी के नाबालिग पुत्र से पूछताछ की गई तो अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि अपने दोस्त के बहकावे में आकर उसने उक्त जेवरो को बेचकर प्राप्त होने वाले रुपयों को ब्याज पर चला कर ज्यादा रुपए कमाने की और पार्टियां करने की योजना बनाई थी। प्रार्थी राकेश यादव के चोरी गए जेवरात उन्ही के घर से ही बरामद हुए। चूंकि ये घटना नाबालिक ने बहकावे में आकर की थी और पुलिस में इसकी शिकायत भी दर्ज हो गई थी इसके चलते नाबालिक का रिकॉर्ड खराब होने का खतरा था। तब कोतवाली पुलिस ने प्रार्थी राकेश यादव के निवेदन पर उनके समक्ष उनके नाबालिग पुत्र की काउंसलिंग कर उसके द्वारा किए गए कृत्य से भविष्य में मिलने वाले दुष्परिणामो से अवगत कराया तो बालक के द्वारा अपने कृत्य पर शर्मिंदगी जाहिर की गई। बालक ने भविष्य में इस तरह की कोई कृत्य की पुनरावृति नहीं किए जाने हेतु अपने परिजनों को आश्वस्त भी किया गया। इन सब को देखते हुए मामले को खत्म कर दिया गया। इनका कहना है नाबलिक बच्चे कई बार अनजाने में इस तरह के कृत्य कर देते हैं जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है। परिजनों को अपने नाबलिक बच्चों की गतिविधियों पर थोड़ा ध्यान देना चाहिये। परिजनों की मॉनिटरिंग से बच्चे गलत दिशा और गलत संगत में जाने से बच सकते है। इस मामले में नाबलिक कें परिजनो के निवेदन और बच्चे के भविष्य को देखते कॉउंसलिंग कराकर मामले को खत्म किया गया है

विक्रम रजक, थाना प्रभारी कोतवाली