- न्यास कालोनी में सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि को प्लाट बताकर बेचने का मामला
- तत्कालीन सीएमओ बुंदेला और उपरजिस्ट्रार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
इटारसी। शहर के बहुचर्चित फर्जी रजिस्ट्री मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायालय ने पूर्व सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव और राजा सैफी को सात-सात वर्ष की सजा और जुर्माने से दंडित किया गया है। शासकीय अधिवक्ता राजीव शुक्ला की सटीक पैरवी एवं 16 गवाहों को सुनने के बाद आरोपियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दोनों को 7-7वर्ष की सजा सुनाई गई है, साथ ही दोनों पर ढाई-ढाई लाख का जुर्माना भी लगाया गया है, जुर्माना अदा नहीं करने पर दो-दो वर्ष की अतिरिक्त सजा भोगनी होगी। दोनों अभी नर्मदापुरम जेल हैं और इसी दौरान उनको सजा सुनाई गई है। सजा की घोषणा होते ही पूर्व सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव रोने लगा और इस मामले के असली दोषियों के नाम बताने की बात कहने लगा मगर कोर्ट ने बहुत देर होने की बात कहकर उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
वीसी के दौरान रोकर लगाई गुहार
सरकारी अधिवक्ता के अनुसार फैसले के दौरान जेल से वीसी पर सजा सुनवाई के दौरान संजीव श्रीवास्तव और राजा सैफी को जुदा गया था। दोनों रोते हुए न्यायालय से माफी की गुहार लगाते रहे। पूर्व सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे आगे मौका मिला तो मैं इस मामले के असली दोषियों के नाम बताने को राजी हूं जो अभी बाहर हैं, लेकिन न्यायालय ने कहा कि आपको ट्रायल के दौरान कई मौके देकर सरकारी गवाह बनने को कहा गया मगर आपने बात नहीं मानी, अब यह नहीं होगा। बचाव पक्ष के वकीलों ने दोनों आरोपितों की बीमारी छोटे बच्चों और परिवार के पालन पोषण के अलावा पूर्व में किसी मामले में दोष सिद्ध न होने की दलील दी, जिस पर न्यायालय संतुष्ट हुआ, इसी आधार पर न्यूनतम सजा सुनाई गई।
दो दिन पहले दिया था दोषी करार
कोर्ट ने दो दिन पहले दोनों को दोषी करार दिया था और सजा के लिए 15 जनवरी का दिन तय किया था। उसके बाद से ही शहर में सजा को लेकर गुणा भाग चालू हो गए थे। बुधवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश हर्ष भदौरिया ने नगरपालिका के पूर्व एआरआई संजीव श्रीवास्तव एवं राजा सैफी को सजा से दंडित किया है। शासकीय अधिवक्ता राजीव शुक्ला ने 16 गवाहों को न्यायालय के समक्ष पेश किया था, जिनको सुनने के बाद और ठोस सबूतों के आधार पर न्यायाधीश ने आरोपियों को जिला जेल में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दोनों आरोपियों को 7-7 वर्ष की सजा से दंडित किया और अर्थदंड भी लगाया है।
पहले ही भेज दिया था जेल
कोर्ट ने नगरपालिका इटारसी के सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव और सर्विस प्रोवाइडर राजा सैफी को 7- 7 साल की सजा दी है और जुर्माना लगाया है। दोनों को धारा 467 के तहत 7 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये जुर्माना और धारा 420, 471, 120 बी और 469 के तहत 5-5 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। प्रत्येक धारा में 50 हजार रुपये का जुर्माना है। इस तरह दोनों अपराधियों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना हुआ है। शनिवार को ही कोर्ट के आदेश से जेल भेज दिया था। वहीं दो अन्य अफसरों तत्कालीन सीएमओ अक्षत बुंदेला और उप रजिस्ट्रार आनंद पांडेय के गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।
इस अवधि में हुआ था प्लॉट का खेल
गौरतलब है कि इटारसी नगरपालिका परिषद के वर्ष 2015 से 2019 के कार्यकाल में न्यास कॉलोनी में एक सार्वजनिक प्रयोजन की जमीन को प्लॉट बनाकर फर्जी रसीदों और रजिस्ट्री के सहारे बेचने के मामले में कोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया है। यह शासकीय भूमि प्लॉट बताकर सराफा व्यवसायी परिवार की शुभांगी रसाल को वर्ष 2018 में नगरपालिका के एक सहायक राजस्व निरीक्षक ने सर्विस प्रोवाइडर के परिजन के सहयोग से बेची थी। मामला कोर्ट में जाने के बाद पुलिस थाने में प्रकरण भी दर्ज हुए थे। कोर्ट ने सोमवार को दिए निर्णय में एआरआई संजीव श्रीवास्तव, सर्विस प्रोवाइडर के परिजन राजा सैफी को दोषी माना है।
2018 में की थी रजिस्ट्री
सराफा व्यवसायी शंकर रसाल ने अपनी पत्नी शुभांगी रसाल के नाम से न्यास कॉलोनी में एक प्लॉट 81 ए इटारसी नगरपालिका से खरीदा था। इसकी रजिस्ट्री 20 मार्च 2018 को हुई थी। इसके लिए रसाल परिवार ने रजिस्ट्री कुल 12 लाख रुपए का भुगतान किया था। इससे पहले की प्रक्रिया के तहत नगरपालिका के तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव ने शुभांगी रसाल के नाम से 1083 और 1091 रसीदें देकर 1.50 लाख-1.50 लाख रुपए जमा कराए थे। इसके बाद उन्हें प्राधिकार पत्र और बाद में अधिपत्य पत्र राजा सैफी के माध्यम से बनवाकर दिए थे। कुछ माह बाद जब उन रसीदों के फर्जी होने की जानकारी सामने आई थी तो प्लॉट क्रेता ने इसकी शिकायत पुलिस थाने में की थी। पुलिस ने वर्ष 2019 में इस मामले में तत्कालीन आरआई संजीव श्रीवास्तव, राजा सैफी पर प्रकरण दर्ज किया था और अन्य लोगों के खिलाफ विवेचना जारी थी।
जांच में इन तथ्यों का खुलासा
मामले में जब जांच हुई तो कोर्ट के समक्ष यह तथ्य आए कि जो प्राधिकार पत्र प्लॉट क्रेता को दिया गया था उसकी नगरपालिका कार्यालय के आवक-जावक रजिस्टर और रजिस्ट्रार कार्यालय के रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं थी। इसी तरह अधिपत्य पत्रक की आवक-जावक में कोई एंट्री नहीं थी। इस प्लॉट विक्रय से जुड़ी नोटशीट का भी कोई उल्लेख कोर्ट के सामने नहीं आया। कुल मिलाकर अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था। पूरे मामले में सुनवाई और तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने तत्कालीन एआरआई संजीव श्रीवास्तव और राजा सैफी को इस मामले में दोषी मानकर आदेश सुरक्षित रख लिया था। दंड के प्रश्न पर आरोपियों/अधिवक्ताओं को सुनने के बाद 15 जनवरी 2025 को दंडादेश जारी किया। तत्कालीन सीएमओ अक्षत बुंदेला और तत्कालीन उप पंजीयक आनंद पांडे की भी संलिप्तता कोर्ट ने इस पूरे फर्जीवाड़े में पाई है। कोर्ट ने 319 (2) शक्तियों का प्रयोग करते हुए दोनों अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट के आदेश के बाद सिटी पुलिस ने दोषी पाए गए दोनों लोगों को अभिरक्षा में लेकर उन्हें नर्मदापुरम जेल भेज दिया था। आज वीसी के माध्यम से दोनों को सजा सुनाई गई।