नर्मदापुरम। शहर में नर्मदा नदी के खर्राघाट पर मंगलवार को फिर एक बड़ा हादसा हो गया। यहां नर्मदा नदी में डूबने से 2 किशोरो की मौत हो गई। एक किशोर को बचा लिया गया। जो किशोर नर्मदा नदी में डूबे थे वे एक शिविर में हिस्सा लेने आए थे। मंगलवार को वे खर्राघाट पर नहाने पहुंचे थे मगर उन्हें कहां पता था कि मौत उनका इंतजार कर रही है। चंद मिनटों में ही मौत ने नर्मदा नदी में नहाने उतरे तीन किशोरों में से दो को अपनी चपेट में ले लिया। किस्मत से एक किशोर मौत के मुंह से वापस आ गया।
विदिशा से आए थे बच्चे
यह घटना मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे की खर्रा घाट की है। हादसे में जान गंवाने वाले किशोर विदिशा के वर्धा गांव के रहने वाले है। आर्ष गुरुकुल में आयोजित 10 दिवसीय शिविर में मप्र के अलग अलग जिलों से बच्चें आए थे। उन्हीं में शामिल कई बच्चें नहाने के लिए आए हुए थे। नहाते समय अपने साथियों के सामने ही 3 किशोर डूब गए। एक को घाट पर मौजूद गोताखोरों ने बचा लिया। 2 किशोरों के शवों को एक घंटे बाद निकाला गया। घटना के बाद गुरुकुल प्रबंधन के लोग मौके पर पहुंचे। हिंगलाज देवी दर्शन करने पहुंचे जनपद पंचायत अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे ने अफरा-तफरी देख पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद एसडीओपी पराग सैनी, प्लाटून कमांडेंट अमृता दीक्षित, कोतवाली थाना एसआई डीएल विश्वकर्मा समेत अन्य पहुंचे। एसडीईआरएफ टीम और स्थानीय गोताखोर ने रेस्क्यू शुरू किया। करीब 45 मिनट बाद दोनों किशोर के शव को निकाला गया। मृत बच्चों के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया है।
2 की मौत, तीसरे को बचाया
नर्मदा नदी में नहाने के दौरान हुई इस घटना में आर्यन धाकड़ पिता राम बाबू धाकड़ (16) और केशव धाकड़ पिता बबलू लाल धाकड़ (16) निवासी ग्राम वर्धा विदिशा की मौत हो गई। तीसरे बच्चे ऋतिक साहू को गोताखोर लक्ष्मीनारायण ने बचा लिया। लक्ष्मीनारायण ने बताया कि मैं नदी में सिक्के ढूंढ रहा था। कुछ बच्चे नहा रहे थे, तभी देखा बच्चे डूब रहे। कुछ लोग उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे थे। एक बालक को मैंने बचा लिया।
3 दिन में 4 बच्चों की मौत
नर्मदा नदी में डूबकर जान गंवाने की यह तीन दिन में दूसरी घटना है। रविवार को इटारसी के मेहरागांव और एक अन्य गांव से भंडारे में शामिल होने आए दो किशोरों की भी डूबने से मौत हो गई थी। परिजनों को इसका पता जब तक चला तब उनके घर के चिराग बुझ चुके थे।
जान जाने का दोषी कौन
नर्मदा नदी में डूबकर जान गवाने वाले किशोरों की मौत का जिम्मेदार आखिर है कौन, घटना तो हो गई लेकिन बड़ा सवाल यह है कि गुरुकुल के शिविर में शामिल होने आए इन किशोरों को गुरुकुल से बाहर आने की छूट कैसे मिल गई। जो शिक्षक इन किशोरों को अपनी जिम्मेदारी पर लेकर आए थे वे क्या कर रहे थे। क्यों उन्होंने और गुरुकुल प्रबंधन ने अपने साथ आए बच्चों की गंभीरता से निगरानी करना जरूरी नहीं समझा, इन सवालों के जवाब तभी मिलेंगे जब पुलिस सही तरीके से जांच करेगी।