नर्मदापुरम। खरीफ फसल (khareef crop) को लेकर जल्द ही किसानों (farmers) की तैयारी चालू होने वाली है। इधर मौसम विभाग ने मानसून के निर्धारित समय पर आने तथा सामान्य वर्षा होने का पूर्वानुमान जता दिया है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बाद अब जल्द ही किसानो द्वारा खेती हेतु प्रमुख आवश्यक उर्वरको का जिले के डबल लॉक केंद्रों व निजी उर्वरक विक्रेताओं से आवश्यकतानुसार बोवाई के पूर्व ही उठाव चालू हो जायेगा। खरीफ मौसम के लिए जिले में कुल 62,000 मीट्रिक.टन यूरिया (urea), 45000 मीट्रिक. टन डीएपी (dap)की आवश्यकता है लेकिन अभी उपलब्धता उससे करीबन आधी ही है। वर्तमान समय में जिले में निजी विक्रेताओं तथा डबल लॉक केन्द्रों व सहकारी समितियों में कुल 30500 मी.टन यूरिया तथा 15510 मी.टन डीएपी उपलब्ध है। यूरिया (45 किलोग्राम) 266.50 रुपये प्रति बैग, डीएपी 1350 रूपये प्रति बैग तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश 1625 रुपये प्रति बैग है।
कहां कितना है उपलब्ध
जिले के डबल लॉक केंद्र नर्मदापुरम में 1311 मेट्रिक.टन यूरिया व 593 मेट्रिक टन डी.ए.पी., 132 मे.टन काम्प्लेक्स, डबल लॉक केंद्र इटारसी में 3598 गे.टन यूरिया, 1777 मे.टन डी.ए.पी., 199 मे.टन कॉम्प्लेक्स, डबल लॉक केंद्र बाबई गे 1417 मे.टन यूरिया, 1302 मे.टन डी.ए.पी, 51 मे.टन काम्प्लेक्स, डबल लॉक केंद्र सेमरीहरचंद में 2548 मे.टन यूरिया, 1127 मे.टन डी.ए.पी. 190 मे.टन काम्प्लेक्स, डबल लॉक केंद्र पिपरिया में 3037 मे.टन यूरिया, 301 मे.टन डी.ए.पी., 120 मे.टन कॉम्प्लेक्स तथा डबल लॉक केंद्र बानापुरा में 2213 मे.टन यूरिया, 1987 मे.टन डी.ए.पी., 588 मे. टन काम्प्लेक्स उर्वरक उपलब्ध है।
कृषि वैज्ञानिकों ने दी गाइड लाइन
कृषि वैज्ञानिकों ने उर्वरकों के प्रयोग के गाइड लाइन भी दी है। उनके मुताबिक किसान संतुलित मात्रा में अर्थात नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग करें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को संरक्षित रखते हुए उर्वरकों पर होने वाले अनावश्यक व्यय को कम किया जा सके। कृषि वैज्ञानिकों की अनुशंसा अनुसार धान की फसल में प्रति हेक्टेयर 130 कि.ग्रा. डी.ए.पी. 210 कि.ग्रा. यूरिया तथा 70 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश, मक्का में 110 कि.ग्रा. डी.ए.पी. 220 कि.ग्रा. यूरिया, 70 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश जबकि सोयाबीन की फसल में प्रति हेक्टेयर 130-150 कि.ग्रा. डी.ए.पी. तथा 35 कि.ग्रा./हेक्टेयर म्यूरेट आफ पोटाश का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
यह भी दी सलाह
वहीं किसान भाई खरीफ मौसम में बोई जाने वाली सभी फसलों में उर्वरको के प्रयोग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नत्रजन की आधी मात्रा, फॉस्फोरस व पोटाश की संपूर्ण मात्रा खेत की तैयारी करते समय अंतिम जुताई के समय प्रयोग करे तथा शेष नत्रजन की आधी मात्रा को दो भागों में बांटकर प्रयोग करे, जिससे उर्वरको की उपयोग दक्षता को बढ़ाया जा सके। इसी क्रम में किसान भाई धान की फसल में नील हरित शैवाल तथा मक्का में एजोटोवेक्टर का प्रयोग करे, वहीं फॉरफोरस भारी उर्वरकों की दक्षता बढ़ाने के लिए सभी प्रकार की फसलों में पीएसबी, (फॉस्फोरस, सोल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया) का प्रयोग करे।
कुल 2.84 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुआई
जिले में लगभग 284000 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग फसल की बोवाई हुई है। किसान भाई ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई के उपरांत सर्वप्रथम धान के लिये जितने क्षेत्र में रोपा तैयार करने हेतु नर्सरी स्थापित करेंगे, पहले उसे तैयार करे, इसके बाद ही शेष बचे संपूर्ण खेत की तैयारी करे, जिन क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मूंग की कटाई देरी से होने की संभावना है तथा किसान भाई धान की सीधी बोवाई सीडड्रिल के माध्यम से करना चाहते है वे पी.बी.-1718, पी.बी.-1509 इत्यादि किस्मों पर चयन कर सीधी बोवाई कर सकते है।