नर्मदापुरम। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कथित तौर पर होटल और रिसोर्ट का निर्माण हो रहा है। बफर जोन के तहत पिपरिया और मटकुली क्षेत्र में कुछ धन्ना सेठ एसटीआर के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से होटल और रिसोर्ट बना रहे हैं। एसटीआर के प्रतिबंधित बफर जोन में इन पक्के निर्माण कार्यों का बेधड़क होना विभागीय जिम्मेदारों की सरपरस्ती का साफ उदाहरण है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र बफर जोंन में व्यवसायिक गतिविधियां निरन्तर बढ़ती चली जा रही है। इनके मामले सामने आने के बाद वन विभाग के आला अफसर जांच कराने की बात तो कहते है मगर वो जांच कभी होती ही नहीं है। जिसका उदाहरण बफर जोन के ये पक्के निर्माण हैं। एसटीआर के बफर जोन से आदिवासियों को नियमों का हवाला देकर जमीन खाली कराई जाती है मगर उसी प्रतिबंधित बफर जोन में धन्ना सेठों के नियमविरुध्द बन रहे होटल और रिसोर्ट निर्माण की तरफ से जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आंखे बंद कर ली जाती हैं। बफर जोन के लिए बनाए गए नियम-कानून को हवा में उडाते हुए रिसॉर्ट ओर होटल बनाने के लिए पेड़ो की बलि लेते हुए रिसॉर्ट निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इन निर्माण कार्यों में देनवा नदी से ढोकर लाई जा रही रेत खपाई जा रही है। देनवा नदी में रात होते ही ट्रैक्टर-ट्रालियों से अवैध उत्खनन शुरू कर दिया जाता है तो वहीं दिन के समय मजदूर बोरियों में भर कर रेत की ढुलाई करते हैं। एसटीआर के बड़े अधिकारी बफर क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों को राजस्व क्षेत्र का बताकर कन्नी काट रहे हैं जबकि सूत्रों का मानना है कि सभी निर्माण कार्य बफर जोन में शामिल हैं। ऐसे में इस गफलत से परदा हटना जरूरी है। जानकारों की मानें तो जहां निर्माण कार्य हो रहे हैं वो एरिया एसटीआर का इको सेंसेटिव जोन है। एसटीआर प्रबंधन के पास इस मामले में कड़ी कार्रवाई का अधिकार है। एसटीआर क्षेत्र के मटकुली के नजदीक बन रहे इन होटल रिसोर्ट के निर्माण कार्यों पर इन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि एसटीआर क्षेत्र के चौकीदारों और अधिकारियों को सब कुछ दिख रहा है, उन्हें यह भी पता है कि यह निर्माण किसका है मगर सबकी मिलीभगत है जिससे कोई कार्रवाई नही हो रही है जबकि इस मामले की जानकारी एसटीआर के चौकीदार से लेकर आला कमान तक सबको है मगर जांच कराएंगे और कार्रवाई करेंगे की बंसी बजने के अलावा कुछ नही हो रहा है। कुल मिलाकर इस पूरे मामले का सार ये है कि अगर पक्के निर्माण बफर जोन में हो रहे है तो एसटीआर को सख्ती से कार्रवाई कर विभागीय छीछालेदार पर रोक लगाना चाहिए और अगर राजस्व क्षेत्र में हो रहे हैं तो उसे तथ्यों के साथ सबके सामने रखना चाहिए।