नर्मदापुरम। पिपरिया सीमेंट रोड क्षेत्र स्थित एक्सिस बैंक में हुए गोल्ड लोन घोटाले में पुलिस ने बैंक स्टाफ के चार लोगों सहित शहर के दो सराफा कारोबारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है। बैंक का आरोप है कि इन सभी ने मिलीभगत कर गोल्ड लोन के नाम पर बैंक को सोने के नकली जेवर दिए और जेवरों की हेराफेरी भी की है। जिस यह गड़बड़ी सामने आई है। शुरूआत में अभी केवल 74 खातों की जांच में यह बड़ा घपला सामने आया, जबकि बैंक में गोल्ड लोन के 315 खाते हैं, जिनकी जांच पूरी होने के बाद अन्य पर भी कार्रवाईयां होंगी।
यह है मामला
टीआई मंगलवारा उमेश तिवारी ने बताया मूल रूप से यह मामला गोल्ड लोन से जुड़ा हुआ है। लोग बैंक में सोने के जेवर गिरवी रखकर लोन लिया करते हैं। बैंक प्रबंधन का आरोप है इस प्रक्रिया में बैंक स्टाफ के चार लोगों ने जेवर का मूल्यांकन करने वाले सराफा कारोबारियों के साथ मिलकर बैंक को चार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। इन सभी को बैंक से निलंबित कर दिया गया है और ज्वेलर्स की सेवाएं बैंक ने बंद कर दी है।
48 पैकेट में सोने के नकली जेवर
जांच में पाया कि बैंक के कई और खातों का लेखा-जोखा संदेशजनक है। प्रबंधन के अनुसार गोल्ड लोन के लगभग 315 खातों का ऑडिट किया गया, जिनमें 74 पैकेट संदेह जनक पाए गए। विधि पूर्वक इन 74 पैकेट को खोला गया। जांच में इनमें से 48 पैकेट में सोने के नकली जेवर मिले, जो आर्टिफिशियल ज्वेलरी थे। एक पैकेट ऐसा भी मिला जिसमें वे जेवर नहीं मिले जो गिरवी रखे गए थे।
इन पर केस दर्ज
रामकुमार रघुवंशी शाखा प्रबंधक सोहागपुर
रोहित रघुवंशी गोल्ड लोन ऑफीसर सोहागपुर
अनिल पटेल ऑपरेशन हेड निवासी पामली
गोल्डी कहार सेल्स ऑफिसर तिलक वार्ड पिपरिया
शैलेंद्र सोनी एसके ज्वेलर्स ब्रांच गोल्ड वैल्यू पिपरिया
आनंद सोनी कृष्णा ज्वेलर्स न्यू गोल्ड लोन व वैल्यूवर पिपरिया
इस तरह सामने आया मामला
बैंक की नर्मदापुरम शाखा के अधिकारी अशोक कुमार अग्रवाल ने मामले में थाना मंगलवारा में शिकायत की थी। जिसमें कहा था कि जनवरी 20-23 में गोल्ड लोन खातों में गिरवी रखे गए जेवर की शुद्धता मापने के लिए जांचकर्ता अधिकारी को पिपरिया शाखा भेजा गया था। यहां कुल 93 खातों की जांच होना थी, लेकिन जांचकर्ता को 30 पैकेट नहीं दिए गए। कहा गया कि वे खाते बंद हो गए हैं। जब यह जानकारी बैंक के उच्चाधिकारियों को मिली तो उन्होंने जांच की और पाया की 21 खाते तब भी सक्रिय थे और नौ खाते जिस दिन जांचकर्ता अधिकारी पहुंचे उसी दिन बंद किए गए थे।