इटारसी। केसला ब्लॉक के एक गांव में एक मजदूर परिवार को उसके घर मेहमानी करने आये एक युवक से मिला घाव बहके ही जिंदगी भर ना भर पाए मगर उस युवक को कोर्ट से मिली सजा ने उस घाव से होने वाली पीड़ा को जरूर कम करने का काम किया है। मेहमानी करने आये युवक(बच्ची का सगा फूफा)ने उस परिवार की 9 साल की बच्ची की पहले अस्मत लूटी थी और फिर पकड़े जाने के डर से बच्ची की हत्या कर शव को जंगल मे फेंक आया था। अपनी बच्ची को खोने वाली मां ने रोते बिलखते हुए आरोपी को फांसी की सजा देने की गुहार जिम्मेदारों से लगाई थी। उसकी मां के मन की इच्छा पूरी हो गई है। इटारसी के केसला ब्लॉक में एक 9 साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में बच्ची के फूफा को कोर्ट ने दोषी पाते हुए फाँसी की सजा सुनाई है। घटना के पंद्रह दिन बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ था। करीब तीन माह में कोर्ट ने आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुना दी है। इसे इटारसी के विधिक इतिहास में पहला मृत्युदंड का मामला बताया जा रहा है। मामले को सशक्त बनाने में केसला पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर गौरव बुंदेला ने काफी साक्ष्य जुटाए थे।
यह है पूरा मामला
इटारसी के केसला में 18 नवंबर 2022 को 9 साल की बच्ची को 22 साल के सगे फूफा ने चॉकलेट का लालच देकर उसे घर से दूर जंगल में गया था। आरोपी फूफा ने नशा कर जंगल में पीड़िता से रेप किया। फिर जंगल में ही पीड़िता का गला घोंटकर उसकी जान ले ली। मासूम का शव जंगल में ही छोड़कर दोपहर में अपनी ससुराल आ गया था। बेटी साथ में न आने पर वालों ने फूफा से सवाल किए। शक न हो, इसलिए आरोपी ने खुद डॉयल 100 को कॉल करके बुलाया था। पुलिस ने छानबीन की तो पड़ोसियों से पता चला कि फूफा के साथ बच्ची को जाते हुए देखा था। पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की तो पहले उसने गुमराह करने की कोशिश की। जब सख्ती हुई तब उसने बताया था कि उसने बच्ची को मार डाला है। करीब 5 घण्टे की सर्चिंग के बाद बच्ची का शव मिला था। द्वितीय अपर सत्र मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश इटारसी ने आरोपी राहुल कवड़े 22 वर्ष, बैतूल को मृत्युदण्ड की सजा सुनाई। आरोपी कोर्ट में जेल से ही उपस्थित हुआ था।
34 गवाह और 80 दिन का ट्रायल बच्ची के साथ हुए इस जघन्य हत्याकांड के मामले में पीड़ित मजदूर परिवार को न्याय दिलाने पुलिस अधिकारियों और जिला अभियोजन कार्यालय ने कोई कसर नही छोड़ी। कोर्ट में जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने सशक्त पैरवी की। कुल 34 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। कोर्ट में 80 दिन तक इसका ट्रायल चला। अभियोजन पक्ष के तर्कों और सबूतों से संतुष्ट होकर न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा से दण्डित किया है।
इनका कहना है
नाबलिग बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में हमने कोर्ट में 34 गवाह प्रस्तुत किये थे और ठोस सबूत रखे थे। कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई है। इटारसी के विधिक इतिहास में मौत की सजा का यह मामला है।
राजकुमार नेमा, जिला अभियोजन अधिकारी