रेलवे कांट्रेक्टर सुरेश गोयल, पंकज गोयल सहित अन्य लोगों को हाईकोर्ट से क्लीनचिट, प्रकरण को समाप्त करने का दिया आदेश..

इटारसी। उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश संजय द्विवेदी की अदालत ने इटारसी के रेलवे कांट्रेक्टर सुरेश गोयल, उनके बेटे पंकज गोयल, तत्कालीन उपपंजीयक रश्मि असीम सेन एवं अधिवक्ता नीरज पटेल के खिलाफ चल रहे विचाराधीन आपराधिक प्रकरण को समाप्त करने के आदेश पारित किए हैं। 24 जनवरी को उच्च न्यायालय से जारी आदेश में कहा गया है कि यह प्रकरण दुर्भावनापूर्वक अवैधानिक ढंग से दर्ज कराया गया था, इस आधार पर इसे निरस्त किया जाता है। रेलवे ठेकेदार सुरेश गोयल एवं अन्य की ओर से प्रकरण में पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अजय गुप्ता एवं अरविन्द गोइल ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा उप पंजीयक रश्मि सेन, व्यवसायी सुरेश गोयल, पंकज गोयल एवं अधिवक्ता नीरज पटेल को मामले में निर्दोष पाते हुए उनके विरूद्ध विचाराधीन आपराधिक प्रकरण समाप्त करने के आदेश पारित किए गए हैं।
कांग्रेस नेता के बेटे ने दाखिल किया था परिवाद
मामले में उपरोक्त लोगों के खिलाफ आरोप लगाते हुए पूर्व मंडी अध्यक्ष रमेश बामने के पुत्र बृजेश बामने द्वारा जेएमएफसी न्यायालय इटारसी में एक परिवाद पत्र पेश किया गया था, बामने ने इस आशय का परिवाद पेश करते हुए आरोप लगाया था किउपपंजीयक रश्मि सेन के साथ मिलकर सुरेश गोयल, पंकज गोयल एवं अधिवक्ता नीरज पटेल ने विक्रय पत्रों मे छेड़छाड़ करते हुये स्टांप की चोरी की, साथ ही संपत्ति का दुरूपयोग करने का प्रयास किया। प्रकरण में निम्न न्यायालय न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी इटारसी द्वारा परिवादी व उसके साक्षियों के बयान लेकर परिवाद पत्र पर संज्ञान लेते हुए उपपंजीयक रश्मि सेन, सुरेश गोयल, पंकज गोयल एवं नीरज पटेल के विरूद्ध धारा 420, 467, 468 में आपराधिक प्रकरण क्रंमाक 17-2022 दर्ज करते हुए अभियुक्तगण की उपस्थिति हेतु गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश पारित किए थे, इसके उपरांत सभी अभियुक्तगणों ने अपनी अग्रिम जमानत उच्च न्यायालय जबलपुर से प्राप्त कर न्यायालय इटारसी में उपस्थित होकर जमानत पेश की थी, साथ ही निम्न न्यायालय द्वारा दर्ज प्रकरण को वैधानिक आधार पर चुनौती देते हुए धारा 482 दण्ड प्रकिया संहिता के अंतर्गत उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका प्रस्तुत की। हाईकोर्ट ने दी क्लीनचिट। जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा सर्वप्रथम निचली अदालत की कार्रवाई पर स्थगन आदेश पारित करते हुए कार्रवाई स्थगित की गई, इसके बाद बृजेश बामने को सूचना पत्र भेजकर याचिका की सुनवाई हेतु अवसर दिया, इसके उपरांत सभी पक्षों को सुनने पर उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा विस्तृत आदेश पारित करते हुए प्रत्येक बिंदु पर अपना निर्णय दिया गया। उच्च न्यायालय ने प्रकरण में फैसला देते हुए बृजेश बामने द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र पर विचाराधीन प्रकरण को दुर्भावनापूर्वक व अवैधानिक मानते हुए निरस्त करने के आदेश पारित किए हैं। रेलवे ठेकेदार बोले सत्य की हुई जीत
इस फैसले को लेकर रेलवे ठेकेदार सुरेश गोयल ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास था, न्यायालय ने सत्यमेव जयते को सिद्ध करते हुए हमारे साथ न्याय किया, फैसले से हमारा न्यायपालिका के प्रति गहरा विश्वास कायम हुआ है। आखिरकार सच की जीत हुई है, विरोधी पक्ष द्वारा गलत बयान और तथ्य पेश कर हमें परेशान करने की नीयत से यह कार्रवाई की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने गलत ठहराया है। प्रकरण में आए फैसले पर सुरेश गोयल ने कहा कि बामने एवम उनके परिवार के खिलाफ दर्ज प्रकरणों पर हो रही कार्यवाही से बौखलाकर हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल कर हमारे परिवार एवम व्यवसाय को नुकसान पहुंचाने की नीयत से उक्त लोगों द्वारा लगातार झूठे तथ्यहीन आरोप लगाकर न्यायालय को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। ऐसे लोगों को न्यायपालिका ने आइना दिखाने का काम किया है। इस फैसले ने समाज में न्यायपालिका का मान बढ़ाया है।
यह था मामला:
साल 2015 में बृजेश बामने ने तत्कालिन महानिरीक्षक पंजीयन को जमीन रजिस्ट्री से जुड़े एक मामले की शिकायत की थी, जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई न होने पर शिकायतकर्ता ने अप्रैल 2019 में स्थानीय अदालत में परिवाद दायर किया था। जमीन के एक सौदे में कथित गड़बड़ी के आरोप के आधार पर स्थानीय न्यायालय ने परिवाद मंजूर कर लिया था, हालांकि उच्च न्यायालय ने इन तथ्यों को गलत मानते हुए इसे पूरी तरह खारिज कर दिया। इनका कहना है

ब्रजेश बामने द्वारा जो परिवादपत्र लगाया गया था उस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद हमारे पक्षकार सुरेश गोयल, पंकज गोयल, उपपंजीयक रश्मि सेन, अधिवक्ता नीरज पटेल को क्लीनचिट देते हुए उसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने बामने द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को गलत माना है।

अरविंद गोइल, अधिवक्ता