मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में पीआईयू के कार्यपालन यंत्री के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे, लाखों के भुगतान के लिए ठेकेदार को प्रताड़ित करने के लगे आरोप, अफसर बोले दबाव बनाकर जांच रोकना चाहता है ठेकेदार…

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम में लोक निर्माण विभाग की विंग पीआईयू के कार्यपालन यंत्री दफ्तर के सामने बैठकर ठेकेदार और मजदूरों ने विभाग के संभागीय परियोजना अधिकारी मयंक शुक्ला के खिलाफ जमकर नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे ठेकेदार मनजीत सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि ठेकेदार का लाखो रुपए का भुगतान बकाया है ठेकेदार द्वारा शेष बची राशि का भुगतान किए जाने पर अधिकारी द्वारा उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित और उनके साथ अभद्रता करते है। वही ठेकेदार ने विभाग पर कमीशन खोरी एवं भुगतान नहीं करने का आरोप भी लगाया है। इतना ही नहीं ठेकेदार ने कर्मचारियों पर 5% कमीशन लेकर भुगतान का आरोप लगाया है। शिवा कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार मनजीत सिंह द्वारा बनखेड़ी में सरकारी कॉलेज के लिए 5.30 करोड रुपए की लागत से बिल्डिंग बनाने का टेंडर हुआ था। ठेकेदार की माने तो बिल्डिंग का कार्य पूरा हो चुका है केवल सामने सड़क का निर्माण बाकी है। ठेकेदार ने बताया कि पीआईयू के अधिकारी एवं बाबू ने उसे उपयोगिता प्रमाण पत्र देकर बिल्डिंग कॉलेज प्रबंधन के हैंड ओवर करा दिया था। ठेकेदार ने बताया कि उसे चार करोड़ का भुगतान हो चुका है। करीब 25 लख रुपए का काम और हो चुका है। उसका भुगतान नही किया जा रहा है। उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। ठेकेदार का कहना है उसके पास 40 मजदूर काम करते हैं जिनका भुगतान रुका हुआ है मजदूरों को करीब 6 लाख रुपए देना है। ठेकेदार ने बताया कि विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है। इसी के चलते धरने पर बैठना पड़ा। ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को तत्काल रूप से सस्पेंड कर दिया जाना चाहिए। पीआईयू लोक निर्माण विभाग में पदस्थ मयंक शुक्ला है। यहां पर एसडीओ हैं पर उन्हें यहां पर ईई बना दिया गया है। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि छतरपुर में भी इनके द्वारा इसी प्रकार कार्य के चलते हटा दिया गया था। ठेकेदार ने एसडीओ होकर ईई का चार्ज मिलने पर भी सवाल उठाए। साथ ही जिला मुख्यालय पर बंगला मिलने के बाद भी रोजाना भोपाल अप डाउन का भी आरोप लगाया। वहीं पूरे मामले को लेकर पीआईयू के कार्यपालन यंत्री मयंक शुक्ला का कहना है कि बिल्डिंग बनाने का ठेका ठेकेदार को 5 साल पहले दिया गया था। जिसे 4 साल में ठेकेदार को यह बनाकर देना था। लेकिन ठेकेदार ने इसे नहीं बनाकर दे पाया। पिछले दिनों जांच करने हमारी टीम पहुंची थी जिन्हें ठेकेदार के मजदूरों ने बिल्डिंग के अंदर जाने नहीं दिया। काम के अनुसार पेमेंट का भुगतान हो चुका है। उन्होंने बताया कि तीन से चार लाख के पेमेंट का भुगतान फाइनेंस पर रोक लगी होने के कारण नहीं हो सका है। उन्होंने ठेकेदार के द्वारा लगाए गए सभी आरोप को निराधार बताया।