नर्मदापुरम। खनिज विभाग छोटी-छोटी ट्रेक्टर ट्रॉलियों से होने वाली रेत चोरी को पकड़कर खुद की पीठ थपथपा रहा है और मीडिया में सुर्खिया बटोर रहा है मगर इसके पीछे का असली खेल कुछ और ही है। जिले की रेत खदानों पर रेत चोरी के इस खेल में बड़े खिलाड़ी लगे हुए हैं जिनसे जिले के खनिज विभाग के जिम्मेदारों की कथित सांठगांठ चल रही है। इस खेल की थीम है रॉयल्टी कहीं-माल कहीं का, जी हां ये बिल्कुल सच है और यह खेल कहीं और नहीं नर्मदापुरम जिले में नर्मदापुरम शहर से सटी रेत खदानों के साथ ही जिले की अन्य रेत खदानों पर चल रहा है।
यह है पूरा खेल
नर्मदापुरम जिले की रेत खदानों को सोने की खदान कहा जाता है और इस पीले सोने को लूटने के लिए रेत माफिया सक्रिय हैं। इस लूट को बहुत की शातिर ढंग से अंजाम दिया जा रहा है। रेत चोरी के लिए बाकायदा रॉयल्टी की रसीद कटाई जाती है मगर यह रसीद नर्मदापुरम जिले की खदानों की नहीं बल्कि नर्मदा के उस पार सीहोर जिले की रेत खदानों की होती है। यह रॉयल्टी एक बड़ी कंपनी पावर….के नाम पर कटती है और फिर रेत चोरी के लिए डंपर नर्मदापुरम की रेत खदानों में प्रवेश कराए जाते हैं। रेत चोरी के इस खेल में पूरा संगठित गिरोह काम कर रहा है। अंधेरा होते ही बड़ी तादाद में डंपरों को खदानों में भेज दिया जाता है जो दिन निकलने तक रेत चोरी भोपाल और अन्य बड़े शहरों की तरफ रवाना कर दिए जाते हैं। रेत चोरी का यह बड़ा पिछले कई दिनों से चल रहा है।
नाम की जांच चौकी
नर्मदापुरम की रेत खदानों से रेत चोरी रोकने के लिए करीब एक दर्जन जगह नाके बनाए गए हैं मगर इन नाकों पर जांच के नाम पर सिवाए औपचारिकता के कुछ नहीं होता है। खनिज महकमा अपने विभाग की थू-थू से बचने छोटे रेत चोरों यानी ट्रॉली संचालकों का गला पकड़ता है मगर खनिज विभाग के आला अफसर को सीहोर जिले की रॉयल्टी पर नर्मदापुरम की रेत खदानों की चोरी नजर नहीं आना अपने आप में पूरी कहानी कह रहा है। इक्का-दुक्का रेत से भरी ट्रॉलियों को पकड़कर विभाग फोटोसेशन इस तर्ज पर कराता है जैसे किसी बड़ी मछली पर हाथ मार दिया हो मगर हकीकत में खुद खनिज विभाग के जिम्मेदारों की मदद से इस खेल की जमावट चल रही है। इस मामले में चर्चा के लिए जब खनिज विभाग के जिम्मेदार जिला खनिज अधिकारी देवेश मरकाम से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।