इटारसी। बंद कमरे में बैठकर अधिकारी कुछ भी अनुमति जारी कर देते हैं। अनुमति देने से पहले वे स्थल निरीक्षण कराना भी जरुरी नहीं समझते कि जो अनुमति मांगी जा रही है उससे कहीं जनहित तो प्रभावित नहीं हो रहा है। इस तरह के कृत्य सांठगांठ की तरफ भी इशारा करते हैं। कुछ ऐसा ही मामला शनिवार को सामने आया। औद्योगिक क्षेत्र खेड़ा के लबालब भरे तालाब के गहरीकरण के नाम पर ठेकेदार ने तटबंध तोडक़र हजारों गैलन पानी बहा दिया। शुक्रवार की रात करीब 11 बजे जानकारी मिलने के बाद नर्मदाचंल जल अभियान के सदस्यों ने मौके पर जाकर मिट्टी भरकर तटबंध से तेजी से बर्बाद होते पानी को रोका। चौंकाने वाली बात यह है कि जिस ठेकेदार ने लबालब तालाब को खाली करने की कोशिश की उसने यह काम सांसद प्रतिनिधि राजा तिवारी की फर्म पर लिया था। सांसद प्रतिनिधि ने इस पूरे घटनाक्रम से खुद अलग बताया है और केवल कागजात देने तक ही सीमित रखा है।
बवाल मचा तो जिम्मेदारी से बच रहे जिम्मेदार
करीब चार वर्ष पूर्व नर्मदांचल जल अभियान के अंतर्गत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकराय होकर औद्योगिक क्षेत्र खेड़ा के सूखे तालाब का गहरीकरण करके जल संरक्षण के लिए काम किया था, उसमें भरे करीब तीस फुट की विशाल जलराशि में से साठ से सत्तर प्रतिशत की जल राशि तालाब का तटबंध तोडक़र बहा दी गई। रात में जेसीबी का इंतजाम नहीं हो सका तो मिट्टी की दीवार खड़ी कर कुछ पानी बचा लिया। दूसरे दिन जेसीबी का इंतजाम करके तोड़ा गया तटबंध को अस्थायी तौर से फिर से दुरुस्त कर दिया गया। इस मामले में जिम्मेदारी लेने से जिम्मेदार बचते रहे।
ओम साईंराम कंस्ट्रक्शन के नाम का उपयोग
तालाब गहरीकरण की अनुमति हासिल करने वाले ठेकेदार ने सांसद प्रतिनिधि राजा तिवारी की ओम सांई राम कंस्ट्रक्शन फर्म का उपयोग किया। राजा तिवारी के नाम से ही तालाब गहरीकरण कर गाद निकालने की अनुमति कराई गई और कथित तौर पर माइनिंग भी अनुमति ली गई। इस मामले में सांसद प्रतिनिधि राजा तिवारी के मुताबिक परिचित होने के नाते पुरुषोत्तम बडक़ुर को खनन के लिए फर्म के कागजात दिए थे। इस खनन से उनका कोई लेना देना नहीं है।
पंचायत सचिव बोले अभिमत मांगा था
खेड़ा स्थित तालाब के गहरीकरण के नाम पर लबालब तालाब का खाली करने पिचिन तोडऩे की कोशिश के मामले में विवाद होता देख जिम्मेदार पक्षों ने चुप्पी साध ली है। सोनासांवरी पंचायत के सचिव विवेक चिमानिया के मुताबिक एसडीएम कार्यालय से तालाब गहरीकरण के संबंध में अभिमत मांगा गया था जिस पर हमने अनापत्ति दे दी थी। अनुमति की प्रक्रिया एसडीएम कार्यालय से हुई है। एसडीएम एमएस रघुवंशी से बात करने के लिए जब उन्हें मोबाइल लगाया गया तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किए जिससे उनका पक्ष सामने नहीं आ सका। बड़ा सवाल यह है कि जब खेड़ा तालाब पानी से भरा होने जानकारी पंचायत और प्रशासन दोनो को है तो फिर इसकी गाद की मिट्टी से जेब भरने का आइडिया किसने लगाया और माइनिंग की इसमें क्या भूमिका है?
इनका कहना है
एसडीएम कार्यालय से तालाब गहरीकरण के संबंध में अभिमत मांगा गया था जिस पर हमने अनापत्ति दे दी थी। अनुमति की प्रक्रिया एसडीएम कार्यालय से हुई है।
विवेक चिमानिया, सचिव सोनासांवरी पंचायत
खेड़ा तालाब में तोडफ़ोड़ से हमारा कोई संबंध नहीं है। हमने पुरुषोत्तम बडक़ुर को काम करने के लिए फर्म के कागजात दिए थे। इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं है।
राजा तिवारी, सांसद प्रतिनिधि
खेड़ा तालाब पर पिचिन तोडऩे के संबंध में हमें कोई जानकारी नहीं है। हमारी पत्नी वार्ड पार्षद हैं मगर हमें कुछ बताया ही नहीं गया है। हमें खुद नागरिकों से इस कृत्य का पता चला है।
राजकुमार यादव, पार्षद पति
लबालब तालाब खाली करके खोदने की अनुमति देना जिम्मेदार अधिकारियों की बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन है। जिस तालाब को बचाने के लिए जनता ने मेहनत की है उसके पानी को बर्बाद करते हुए बिना स्थल निरीक्षण किए गहरीकरण की अनुमति देना हास्यास्पद है।
कन्हैया गुरयानी, सदस्य नर्मदांचल जल अभियान